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मालू इलेक्ट्रोड प्रा.लि. में मजदूरों का शोषण

डिजिटल डेस्क, नागपुर। एमआईडीसी के सेक्टर एस 2, 3, 4 में वेल्डिंग रॉड बनाने वाली मालूू इलेक्ट्रोड प्रा. लि. कंपनी में मजदूरों के शोषण की बात भी सामने आई। नाम उजागर नहीं करने की शर्त पर मजदूरों ने खुलकर अपनी पीड़ा बताई। उनसे 8 घंटे की जगह 12 घंटे काम लिया जाता है और भुगतान केवल 8 घंटे का ही होता है। वहीं श्रम कानून के तहत तय न्यूनतम पारिश्रमिक का भी भुगतान नहीं किया जाता है। पीएफ, ईएसआई, स्वास्थ्य बीमा और जरूरी सुरक्षा इंतजाम जैसी सुविधाएं तो दूर की बात है।
428 की जगह 350 रु. भुगतान
कंपनी में 3 ठेकेदार हैं। इनके पास करीब 200 मजदूर काम करते हैं। नियानुसार इस कंपनी में काम करने वाले अकुशल श्रमिकों को 428 रुपए (8 घंटे के लिए) प्रतिदिन के हिसाब से पारिश्रमिक मिलना चाहिए, जबकि 12 घंटे काम करवाकर 350 रुपए दिए जाते हैं। सरकारी नियमों के अनुसार, 53.50 प्रति घंटे के हिसाब से 8 घंटे काम करने वाले मजदूर को वेतन देना है। 8 घंटे से ज्यादा समय काम करने पर प्रति घंटे दोगुना भुगतान करने का प्रावधान है। मालूू इलेक्ट्रोड कंपनी में 29 रुपए प्रति घंटे के हिसाब से मजदूरों को वेतन दिया जाता है।साथ ही महीने की 4 छुट्टी का भी वेतन नहीं दिया जाता।
रोजाना मजदूरों के हिस्से का 1 लाख कर जाते हैं हजम
यहां काम करने वाले मजदूरों ने बताया कि, रोज एक लाख रुपए मजदूरों के हिस्से का कंपनी हजम कर जाती है। करीब 300 मजदूर काम करते हैं। रोजाना निर्धातरित मजदूरी के 78 रुपए कम दिए जाते हैं। साथ ही ओवरटाइम 4 घंटे काम करने का वेतन भी 428 रुपए होता है। मजदूर अगर कंपनी में 12 घंटे काम करता है तो उसे 856 रुपए ओवरटाइम रोजी मिलनी चाहिए। रोजाना एक मजदूर की 506 रुपए मेहनत की कमाई कंपनी हजम कर रही है। एक मजदूर के 506 रुपए यानी 200 मजदूर के 1 लाख 1 हजार 200 रुपए रोजाना कंपनी हजम कर जाती है।
जमा नहीं की जाती भविष्य निधि
नियम के अनुसार हर मजदूर को भविष्य निधि (पीएफ) देना अनिवार्य है, लेकिन मालूू इलेक्ट्रोड कंपनी के ठेकेदारी में काम करने वाले मजदूरों की भविष्य निधि जमा नहीं की जाती है।
स्थानीय मजदूरों से भेदभाव, राजस्थान को प्राथमिकता
मजदूरों के प्रतिनिधियों के अनुसार मालूू इलेक्ट्रोड प्रा. लि कंपनी का मालिक मूल रूप से राजस्थान निवासी है। इसलिए उनके कंपनी में काम करने वाले अधिकांश अधिकारी, मजदूर राजस्थान के ही हैं। यहां स्थानीय मजदूरों को काम के लिए प्राथमिकता नहीं दी जाती। कोशिश की जाती है कि, राजस्थान से ही उन्हें लाया जाए।
इन नियमों की हो रही अनदेखी
शासकीय नियम के अनुसार कंपनी में काम करने वाले मजदूरों को शासन द्वारा निर्धारित न्यूनतम वेतनमान, भविष्य निधि, स्वास्थ्य बीमा आदि सुविधा दिए जाने का प्रावधान है। साथ ही पुरुष व महिला मजदूरों को समान वेतनमान का भी प्रावधान है। इसी तरह नगर निगम की सीमा में और औद्योगिक क्षेत्रों में नागरिक निकायों के अधिकार क्षेत्र से 20 किलोमीटर की दूरी के भीतर, कुशल श्रमिकों को 12336 रुपए न्यूनतम मजदूरी देने का नियम है। अर्द्धकुशल श्रमिकों को 11636 रुपए और अकुशल मजदूर को 11136 रुपए मिलने चाहिए। इन सब नियमों की मालू इलेक्ट्रोड कंपनी में जमकर अनदेखी की जा रही है। विभागीय अधिकारियों की मिलीभगत से तमाम नियमों की अनदेखी के बावजूद कंपनी के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं होती है।
सब नियम से चल रहा है
हमारे यहां काम करने वाले सभी मजदूरों को नियम के अनुसार वेतन दिया जाता है। ठेकेदारी में कार्यरत मजदूरों को भी न्यूनतम वेतन और पीएफ, ईएसआई का लाभ दिया जाता है। सब काम नियम से चल रहा है। -धर्मेंद्र बुगालिया, जनरल मैनेजर, मालूू इलेक्ट्रोड प्रा. लि.
शिकायत मिलने पर कार्रवाई
आठ घंटे काम करने के बाद चार घंटे काम करने पर ओवरटाइम डबल मजदूरी के रूप में देना पड़ता है। अगर, ऐसा नहीं होता है तो मजदूरों को हमसे शिकायत करना चाहिए। इस कंपनी की ऐसी कोई शिकायत नहीं मिली है।
-राजदीप धुर्वे, सहायक आयुक्त, कामगार विभाग, नागपुर
Created On :   12 Sept 2020 3:53 PM IST