बाघ पुर्नस्थापना की संस्थापक बाघिन टी-१ की मौत पर प्रबंधन की लापरवाही उजागर

डिजिटल डेस्क पन्ना। वर्ष 2009 में पन्ना टाइगर रिजर्व के पूरी तरह से बाघ विहीन होने के बाद जो टाइगर रीलोकेशन प्रोग्राम चलाया गया उसके तहत बांधवगढ़ से टी-1 बाघिन को लाकर पन्ना में छोड़ा गया। बाघों की दुनिया को पुन: आबाद करने के लिए पन्ना टाइगर रिजर्व में इस बाघिन ने महत्वपूर्ण योगदान दिया और इतने शावकों को जन्म दिया कि पन्ना टाइगर रिजर्व ही नहीं पूरे बुंदेलखंड के जंगल टाइगरों से आबाद हो गए। इस बाघिन के कारण ही पन्ना का नाम देश दुनिया में बाघों के लिए लिया जा रहा है। बाघिन टी-१ के योगदान के कारण मध्य प्रदेश से टाइगर स्टेट का खोया हुआ दर्जा उसे वापिस मिला है पर इस बाघिन की मौत ऐसी होगी यह किसी ने सोचा भी नहीं था। पन्ना टाइगर रिजर्व प्रबंधन की लापरवाही ही है कि मौत के 10 दिन बाद इस बाघिन का शव क्षत-विक्षत अवस्था में मिला। इस बाघिन की मौत ने टाइगर रिजर्व प्रबंधन की पोल खोलकर रख दी है। क्योंकि इसका शव हाईवे के किनारे ही पड़ा था और किसी को पता नहीं चला जो बड़ी लापरवाही है जबकि इस बाघिन की मॉनिटरिंग के लिए विशेष मॉनिटर दल गठित किया गया था। समय-समय पर देखरेख और उसकी गतिविधियों का अध्ययन करने के लिए विशेष दल गठित है लेकिन इस दल ने कोई काम नहीं किया। इतना ही नहीं इतनी बडी घटना होने के बाद भी रेंज ऑफिसर व बीट गार्ड को सुध भी नहीं लगी यह एक गंभीर विचारणीय प्रश्न है। बाघिन के शव की इतनी बदतर स्थिति हो गई थी कि पन्ना टाइगर रिजर्व प्रबंधन एक फोटो भी सार्वजनिक नहीं कर सका। इस घटना को पन्ना टाइगर रिजर्व के फील्ड डायरेक्टर बृजेंद्र झा ने संज्ञान लिया है उनके द्वारा कहा गया है कि इस घटना के जिम्मेदार अधिकारियों व कर्मचारियों को नोटिस दिए गए हैं। श्री झा ने कहा कि बाघिन की मौत वाले क्षेत्र में जो बीट गार्ड और जो चौकीदार तैनात किए गए हैं उनका जवाब लेने की बाद कार्यवाही की जाएगी। अब प्रश्न यह है कि जो मानिटरिंग दल गठित किया गया था वह क्या कर रहा था और उस दल के ऊपर क्या कार्यवाही की जाएगी। बाघिन की मौत के 10 दिन बाद भी वन विभाग के कर्मियों खासकर रेंज ऑफिसर को जानकारी न मिलना यह उजागर करता है कि जमीनी स्तर पर मॉनिटरिंग का कार्य ठीक ढंग से नहीं हो रहा है और इसमें गंभीर लापरवाही बरती जा रही है।
Created On :   6 Feb 2023 5:31 PM IST