न्यायालय में अपना पक्ष रखने भी नहीं पहुंची मनपा

Manpa did not even reach the court to present its side
न्यायालय में अपना पक्ष रखने भी नहीं पहुंची मनपा
घोर लापरवाही न्यायालय में अपना पक्ष रखने भी नहीं पहुंची मनपा

डिजिटल डेस्क, नागपुर।  मनपा में इस कदर लापरवाही बरती जा रही है कि हाईकोर्ट में विज्ञापन फलकों से संबंधी मामले में सुनवाई में भी मनपा अपना पक्ष रखने नहीं पहुंच पाई है। कोर्ट से जारी नोटिस मनपा के सामान्य प्रशासन ने प्राप्त तो किया, लेकिन उसे विज्ञापन विभाग को भेजना भी उचित नहीं समझा। न्यायालय के आदेश की जानकारी मिलने के बाद अब विज्ञापन विभाग और सामान्य प्रशासन विभाग की नींद खुली है। मामला विज्ञापन एजेंसियों से करीब 20 करोड़ की वसूली का है।

क्या है मामला : शहर में विज्ञापन फलक लगाने के लिए विज्ञापन विभाग निर्धारित रॉयल्टी शुल्क पर अधिकार देता है। इसके तहत एजेंसी को 1 साल तक की न्यूनतम अनुमति दी जाती है। शहर में अलग-अलग 20 से अधिक एजेंसियों पर विज्ञापन रॉयल्टी की करीब 20 करोड़ से अधिक की राशि का भुगतान अब भी प्रलंबित है। इस भुगतान के लिए विज्ञापन विभाग ने नोटिस जारी कर वसूली करने का प्रयास किया, तो 24 एजेंसियों ने उच्च न्यायालय की नागपुर खंडपीठ में याचिका दायर कर शुल्क वसूली को अवैध करार देने की मांग की है। इस याचिका पर न्यायालय ने नोटिस जारी कर 26 अक्टूबर को अपना पक्ष रखने का निर्देश दिया था, लेकिन सामान्य प्रशासन विभाग ने नोटिस प्राप्त कर विज्ञापन विभाग तक भेजा ही नहीं।

26 अक्टूबर को सुनवाई के दौरान विज्ञापन विभाग अपना पक्ष रखने के लिए नहीं पहुंचा। उसके बाद न्यायालय ने याचिकाकर्ताओं को 6 सप्ताह की अस्थायी राहत दी है। मामले की अगली सुनवाई 7 दिसंबर को होनेवाली है। जब विज्ञापन विभाग ने नोटिस को लेकर खोजबीन की, तो पता चला कि नोटिस सामान्य प्रशासन विभाग के पास है। अब दोनों विभागों के अधिकारी इस मामले में लीपापोती करने का प्रयास कर रहे हैं। आंकड़ों के मुताबिक करीब 30 से अधिक एजेंसियों पर 17 करोड़ से अधिक की वसूली प्रलंबित है। ब्याज समेत नोटिस खर्च को मिलाने पर आंकड़ा 20 करोड़ तक पहुंच जाता है।

वसूली का अधिकार नहीं
मनपा की बकाएदार एजेंसियों ने विज्ञापन विभाग की शुल्क वसूली को लेकर कानूनी चुनौती भी दी है। एजेंसियों का तर्क है कि विज्ञापन कर की वसूली का मनपा को अधिकार नहीं है, वहीं विज्ञापन विभाग का दावा है कि शहर में विज्ञापन फलक को लगाने के बदले में शुल्क नहीं लिया जाता है, बल्कि विज्ञापन फलक लगाने का अधिकार देकर नाममात्र की रॉयल्टी ली जाती है। विज्ञापन एजेंसियों ने मनपा की रॉयल्टी वसूली को लेकर हाईकोर्ट में याचिका भी दायर की है। 

7 करोड़ की सालाना आमदनी
मनपा के विज्ञापन विभाग को सालाना करीब 7 करोड़ रुपए की रॉयल्टी विज्ञापन फलकों से मिलती है। छोटे, बड़े समेत करीब 1500 विज्ञापन फलक को लगाने के लिए विज्ञापन विभाग अनुमति देता है। इस अनुमति के बदले में बगैर लाइट वाले फलक के लिए 22 रुपए प्रति वर्ग मीटर और लाइट वाले फलक के लिए 62 रुपए प्रति वर्गमीटर की दर से रॉयल्टी ली जाती है।

मुझे जानकारी नहीं
उच्च न्यायालय की ओर से नोटिस सामान्य प्रशासन विभाग में आने को लेकर जानकारी नहीं है। संभावना है कि डिस्पैच विभाग में आया हो, पूरे मामले की जानकारी लेता हूं। -महेश धामेचा, सहायक आयुक्त, सामान्य प्रशासन विभाग, मनपा

नोटिस नहीं मिला
नियमों के तहत विधि विभाग के माध्यम से न्यायालय का नोटिस मिलना चाहिए था, लेकिन विज्ञापन विभाग को नोटिस नहीं मिल पाया है। इस मामले में आगे की प्रक्रिया को पूरा किया जा रहा है।    -मिलिंद मेश्राम, सहायक आयुक्त, कर विभाग, मनपा

Created On :   4 Dec 2021 9:00 AM GMT

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