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रेमडेसिविर की कालाबाजारी रोकने में मनपा नाकाम

डिजिटल डेस्क, नागपुर । कोरोना इलाज में महत्वपूर्ण रेमडेसिविर इंजेक्शन की कालाबाजारी लगातार जारी है। निजी अस्पतालों में बेड की कीमतें बहुत अधिक हैं। राज्य सरकार द्वारा वर्ष 2020 में ही बेड और रेमडेसिविर की दरें तय करने के बावजूद इस पर अमल नहीं हो रहा है। नागपुर महानगरपालिका शहर में रेमडेसिविर की कालाबाजारी नियंत्रित करने में नाकाम रही है।
यह आरोप लगाया
बॉम्बे हाईकोर्ट की नागपुर खंडपीठ में सामाजिक कार्यकर्ताओं के समूह ने शपथपत्र प्रस्तुत करके यह आरोप लगाया है। अनुसया छाबरानी काले व अन्य 7 द्वारा दायर शपथपत्र में कहा गया है कि राज्य सरकार ने अगस्त 2020 में रेमडेसिविर दरों के संबंध में आदेश जारी किया था, लेकिन अधिकांश निजी अस्पतालों ने इसका पालन नहीं किया। मनपा इस पर अंकुश लगाने में असमर्थ रही। देश में कुल 7 रेमडेसिविर उत्पादक कंपनियां हैं, जिनकी दरें अलग अलग है। इस इंजेक्शन का बाजार मूल्य 700 से 1300 रुपए है, निजी अस्पतालों में 4500 रुपए प्रति इंजेक्शन तक वसूले जा रहे हैं। यह एक प्रकार की कालाबाजारी है। इसी तरह बेड की दरें तय होने के बाद भी मरीजों का बिल डेढ़ लाख रुपए पार कर जाता है। यह एक प्रकार की कालाबाजारी है, जिसे प्रशासन रोक नही पा रहा है। इस मामले में बुधवार को हाईकोर्ट में सुनवाई रखी गई है। इन मध्यस्थी अर्जदारों की ओर से एड.एम.अनिलकुमार कामकाज देख रहे हैं।
सोसायटियों में कराएं टीकाकरण
मौजूदा स्थिति में टीकाकरण केंद्रों पर नागरिकों की भीड़ जम रही है, जिससे संक्रमण बढ़ने का भी खतरा है। मुंबई जैसे शहर में बीएमसी बड़ी-बड़ी सोसायटियों में टीकाकरण अभियान चला रही है। इससे भीड़ भी कम जुट रही है और टीकाकरण भी हो रहा है। यही मॉडल नागपुर में भी अपनाने की जरुरत है।
Created On :   12 May 2021 1:23 PM IST