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मनपा अस्पताल में पहले जाने से बचते थे मरीज, अब गंभीर भी हो रहे हैं ठीक

डिजिटल डेस्क, नागपुर। नागपुर महानगरपालिका के अस्पतालों का नाम लेने पर लोग पहले नाक-मुंह सिकुड़ने लगते थे। लेकिन आज यही अस्पताल लोगों की जिंदगी बचाने का काम कर रहे हैं। कोरोना की दूसरी लहर की आशंका के चलते नागपुर महानगरपालिका ने अपने अस्पतालों की सूरत बदलने का काम किया। अभी मनपा के अपने पांच अस्पताल हैं, जिसे ऑक्सीजन सहित सभी सुविधाओं से युक्त किया गया है। विशेष यह कि एमडी मेडिसीन डॉक्टर से लेकर करीब 40 डॉक्टर इन अस्पतालों में सेवाएं दे रहे हैं। अन्य नर्सिग स्टाफ भी अलग है। अब अस्पतालों में वेंटिलेटर लगाने पर भी विचार हो रहा है।
महानगरपालिका का नाम आए और विवाद न जुड़े, ऐसा कम ही होता था। यही स्थिति मनपा के अस्पतालों की थी। गांधीनगर स्थित इंदिरा गांधी अस्पताल, पांचपावली अस्पताल और इमामवाड़ा का आइसोलेशन अस्पताल। सर्दी, खांसी, बुखार, गैस्ट्रो के मरीज और गर्भवती महिलाओं के अलावा इन अस्पतालों में कोई जाने को नहीं देखता था। स्थिति यह कि अस्पतालों में कभी डॉक्टर नहीं मिलते थे। स्टाफ का रोना अलग था। दवाइयों कभी मिली नहीं। किसी भी अस्पताल में मरीज को भर्ती करने की स्थिति नहीं थी।
इंदिरा गांधी अस्पताल में व्यवस्था थी, लेकिन सुविधाएं नदारद थीं। लेकिन कोविड-19 ने मनपा को इसे पुनर्जीवित करने पर मजबूर कर दिया। इन अस्पतालों को संजीवना मिली। तत्कालीन आयुक्त तुकाराम मुंढे की सत्तापक्ष-विपक्ष के नेता लाख बुराई करें, लेकिन उनकी पहल पर ही इन अस्पतालों की सूरत बदली। मुंढे ने मनपा की निधि से एक पैसा न खर्च करते हुए स्टेट डिजास्टर रिलिफ फंड और नेशनल डिजास्टर रिलिफ फंड का इस्तेमाल कर अस्पतालों को अत्याधुनिक बनाया। इन अस्पतालों को पुनर्जीवित ही नहीं किया बल्कि सदर के जिस बंगले पर मनपा के अतिरिक्त आयुक्त का वर्षों तक कब्जा था, उसे खाली कर वहां आयुष अस्पताल बनाया। केटी नगर में भी नया अस्तपाल खड़ा किया। यह सब कुछ कोरोना संक्रमण काल में किया गया।
कहा क्या, व्यवस्था
-गांधीनगर स्थित इंदिरा गांधी अस्पताल में पहले 88 बेड थे। आज 100 बेड की क्षमता है। सभी अॉक्सीजन युक्त हैं। 18-20 डॉक्टर सहित अन्य मेडिकल स्टाफ है। एमडी मेडिसीन डॉक्टर की व्यवस्था है। मरीज भी भर्ती हैं।
-इमामवाड़ा स्थित आइसोलेशन अस्पताल में ऑक्सीजन युक्त 32 बेड हैं। अस्पताल को सर्वसुविधायुक्त बनाया गया है। अस्तपाल में साई मंदिर ट्रस्ट सेवा दे रहा है। डॉक्टर से लेकर सभी खर्च ट्रस्ट उठा रहा है।
-पांचपावली स्थित मनपा अस्तपाल में सिर्फ 10 बेड थे। अब 100 बेड की व्यवस्था की गई है, सभी ऑक्सीजन वाले हैं। 12 डॉक्टर सहित अन्य मेडिकल स्टाफ है।
-सदर स्थित आयुष अस्पताल में 44 ऑक्सीजन बेड हैं। 6 डॉक्टरों की नियुक्ति की गई है। इस जगह अनेक वर्षों तक मनपा के अतिरिक्त आयुक्त का बंगाल रहा। सेवानिवृत्त के बाद भी उनका कब्जा था। तुकाराम मुंढे ने इस बंगले को खाली कर उसे अस्पताल में परिवर्तित किया। विशेष यह कि अतिरिक्त आयुक्त के कब्जे से पहले यह मनपा अस्पताल ही था।
-तुकाराम मुंढे ने अपने कार्यकाल में केटी नगर में मनपा का नया अस्पताल बनाया। 110 बेड की व्यवस्था यहां की गई। फिलहाल नेताओं के विरोध के कारण यह अस्पताल शुरू नहीं हो पाया है। लेकिन यह पूरी तरह तैयार है।
वेंटिलेटर की व्यवस्था पर हो रहा विचार
जल्द इन अस्पतालों में वेंटिलेटर की व्यवस्था पर भी विचार किया जा रहा है। फिलहाल अस्पतालों में एमडी मेडिसीन डॉक्टर सहित पर्याप्त स्टाफ है। मरीजों का उपचार भी जारी है। सभी बेड को ऑक्सीजन से जोड़ा गया है। अस्पतालों के स्टेट और नेशनल डिजास्टर रिलिफ फंड का इस्तेमाल किया गया है। - डॉ. प्रवीण गंटावार, मनपा वैद्यकीय अधिकारी
Created On :   21 Dec 2020 1:44 PM IST