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पैरोल और फर्लो पर छोड़े गए कैदी नहीं लौटे, 9 अभी भी फरार
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डिजिटल डेस्क, नागपुर। "जेल" शब्द सुनते ही आम आदमी का पसीना छूटने लगता है। सलाखों के पीछे कैद होने के बाद रिहाई की आस लिए सजायाफ्ता उंगलियों पर दिन गिनता रहता है। नियमों के अनुसार, कैदियों को जेल से अवकाश पर छोड़ा जाता है और यह कदम इसलिए उठाया जाता है कि अपराधी मन समाज के प्रति अपनी जिम्मेदारियों को समझे, लेकिन इसका गलत फायदा उठाया जाने लगा है। सूत्रों के अनुसार, नागपुर सेंट्रल जेल से गत दो साल में 600 से अधिक कैदी पैरोल और फर्लो पर छोड़े गए, इसमें 9 कैदी फरार हैं। स्थानीय पुलिस और जेल प्रशासन इनकी तलाश में है। जेल अधिकारियों के लिए तो मानो पैरोल व फर्लो देना सिरदर्द साबित हो गई है।
पैरोल भी दो तरह के होते हैं
कस्टडी पैरोल
जब कैदी के परिवार में किसी की मौत हो गई हो या फिर परिवार में किसी की शादी हो या फिर परिवार में कोई सख्त बीमार हो, उस वक्त उसे कस्टडी पैरोल दिया जाता है। इस दौरान आरोपी को जब जेल से बाहर लाया जाता है तो उसके साथ पुलिसकर्मी होते हैं और इसकी अधिकतम अवधि 6 घंटे के लिए ही होती है।
रेग्युलर पैरोल
रेग्युलर पैरोल दोषी को ही दिया जा सकता है, अंडर ट्रायल को नहीं। अगर दोषी ने एक साल की सजा काट ली हो तो उसे रेग्युलर पैरोल दिया जा सकता है।
और यह है फर्लो
फर्लो के तहत कैदी को अपनी सामाजिक या व्यक्तिगत जिम्मेदारियों को पूरा करने के लिए कुछ समय के लिए रिहा किया जाता है। इसे कैदी के सुधार से जोड़कर भी देखा जाता है।
पैरोल को जानें
सजायाफ्ता कैदी को उसकी सजा की अवधि पूरी न हुई हो या सजा की अवधि समाप्त होने से पहले उस व्यक्ति को अस्थायी (टेम्पररी) रूप से जेल से रिहा करने को पैरोल कहते हैं। यह पैरोल बंदी व्यक्ति के अच्छे आचरण (गुड विहैबियर) को ध्यान में रखते हुए दी जाती है।
किन आधारों पर मिल सकती है पैरोल
जानकारों की मानें तो अपराधी के घर या परिवार में किसी प्रकार की दुर्घटना घटती है, किसी प्रकार का कोई सरकारी कार्य अधूरा रह गया हो तो उसे पैरोल पर रिहा किया जा सकता है। पैरोल सजायाफ्ता कैदी को ही मिलती है, उसे अपनी संपत्ति बेचनी है, या उस संपत्ति को अपने किसी परिवार वाले या किसी रिश्तेदार के नाम स्थानांतरण करना चाहता है, तो उसके लिए कैदी पैरोल ले सकता है।
वे लौट कर फिर नहीं आए
नागपुर सेंट्रल जेल से हर साल करीब 250 कैदी पैरोल व फर्लो पर छोड़े जाते हैं। नागपुर सेंट्रल जेल से फर्लो (संचित रजा) पर वर्ष 2017 में 239 कैदियों को छोड़ा गया था, इसमें 2 कैदी जेल में वापस नहीं आए। इसी प्रकार, वर्ष 2018 में फर्लो पर छोड़े गए 234 कैदियों में से 5 फरार हैं।
पैरोल पर वर्ष 2017 में 52 कैदियों को नागपुर सेंट्रल जेल से छोड़ा गया था, इसमें से भी दो कैदी वापस जेल में नहीं लौटे। वर्ष 2018 में 5 को छोड़ा गया था, ये सभी तय समय में वापस आ चुके हैं।
वर्ष 2018 में राज्य की विभिन्न जेलों से पैरोल व फर्लो पर बाहर निकले 638 कैदियों के फरार होने की जानकारी सामने आई थी। इनमें हत्या व बलात्कार जैसे गंभीर मामलों में उम्रकैद की सजा भुगतने वाले 596 कैदी शामिल हैं।
चौंकाने वाली बात यह है कि फरार हो चुके इन कैदियों में वर्ष 1973 से अब तक के कैदी भी शामिल हैं। जेल अधिकारियों के लिए ऐसे में पैरोल व फर्लो देना सिरदर्द साबित हो गई है।
जल्द पकड़ में आने की उम्मीद
हां, यह बात सही है की सेंट्रल जेल के 9 कैदियों की तलाश की जा रही है। ये कैदी पैरोल व फर्लो पर छोड़े गए थे, लेकिन जेल में अभी तक वापस नहीं लौटे हैं। कुछ कैदी ऐसे भी होते हैं, जिनके दिलों में परिवर्तन आ जाता है। ऐसे कैदी अपनी रिहाई के दिन गिनने लगते हैं, वहीं कुछ कैदी ऐसे भी होते हैं जो यह सोचकर फरार हो जाते हैं कि वह अब ‘आजाद’ हो गए हैं। नागपुर की जेल से भागे हुए 9 कैदियों के बारे में धंतोली थाने में शिकायत दर्ज कराई जा चुकी है। जेल प्रशासन को इन भगोड़े कैदियों के पकड़े जाने का इंतजार है। उम्मीद है कि ये फरार कैदी जल्द पकड़ में आ जाएंगे। -रानी भोसले, अधीक्षक, सेंट्रल जेल, नागपुर
Created On :   26 Feb 2019 12:19 PM IST