मराठी को मिल सकता है शास्त्रीय भाषा का दर्जा, केंद्र कर रहा विचार

Marathi can get classical language status
मराठी को मिल सकता है शास्त्रीय भाषा का दर्जा, केंद्र कर रहा विचार
मराठी को मिल सकता है शास्त्रीय भाषा का दर्जा, केंद्र कर रहा विचार

डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। मराठी भाषा को अभिजात (शास्त्रीय) भाषा का दर्जा जल्द मिलने की उम्मीद है। केन्द्र सरकार ने स्पष्ट किया है कि मराठी को अभिजात दर्जा देने पर वह सक्रियता से विचार कर रही है। केन्द्रीय संस्कृति राज्यमंत्री (स्वतंत्र प्रभार) महेश शर्मा ने सोमवार को लोकसभा में बताया कि भाषाई विशेषज्ञ समिति द्वारा मराठी भाषा को अभिजात का दर्जा देने की गई सिफारश की गई है। इस सिफारिश परसंसकृति मंत्रालय सक्रियता से विचार कर रही है। इससे पहले बीते साल सदन में एक सांसद द्वारा पूछे सवाल के जवाब में राज्यमंत्री ने बताया था कि सरकार मराठी को अभिजात (शास्त्रीय) भाषा का दर्जा शीघ्र दिए जाने के पक्ष में है। इस पर फैसला इसलिए नही लिया गया है, क्योंकि शास्त्रीय भाषा के संबंध में एक मसला मद्रास उच्च न्यायालय में लंबित है। जैसे ही इस लंबित याचिका पर फैसला आएगा, सरकार मराठी को अभिजात भाषा का दर्जा देने की घोषणा करेगी।   

उड़िया बनी थी देश की छठी शास्त्रीय भाषा 
इससे पहले केंद्रीय कैबिनेट की मंजूरी मिलने के बाद उड़िया देश की छठी शास्त्रीय भाषा बनी थी। जबकि तमिल, संस्कृत, कन्नड़, तेलुगू और मलयालम इस लिस्ट में पहले ही शामिल हो चुकी हैं। भाषाओं को दर्जा देने की परंपरा आजादी के बाद ही शुरु हो गई थी। खास बात है कि जब वोटों के आधार पर संस्कृत आधिकारिक भाषा नहीं बनी थी, तो अनुच्छेद 351 के तहत उसे विशेष भाषा का दर्जा दिलाया गया था। इसे हिंदी सहित कई भाषाओं की जननी कहा जाता है।

शास्त्रीय भाषा देने की आधिकारिक शुरुआत
साल 2004 में केंद्र सरकार ने “प्राचीन साहित्य की समृद्ध परंपरा” जैसे प्रावधानों के आधार पर शास्त्रीय भाषा देने की आधिकारिक शुरुआत की थी। जिसके तहत साल 2005 में तमिल को दर्जा हासिल हुआ। जो दूसरी शास्त्रीय भाषा बनी थी। आपको बता दें शास्त्रीय भाषा बनने के बाद केंद्र उस भाषा पर शोध और विकास के लिए अनुदान देता है। साथ ही केंद्रीय विश्वविद्यालयों में इससे संबंधित चेयर की स्थापना भी की जाती है।

Created On :   2 Jan 2018 8:43 PM IST

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