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मराठी, हिन्दी, गुजराती की तरह पालि भाषा को पाठ्यक्रमों में शामिल करने की मांग

डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। पालि भाषा के व्यापक संवर्धन के लिए इसे संविधान की 8वीं अनुसूचि में शामिल करने और अभिजात भाषा का दर्जा देने की मांग के तहत पालि संवर्धन संघर्ष समिति और भिक्षु संघ ने शुक्रवार को यहां संसद मार्ग पर प्रदर्शन किया। भंते चंद्रकिर्ती और बालचंन्द्र खांडेकर की अगुवाई में डॉ आंबेडकर भवन से संसद मार्ग तक निकाले गए मार्च में देश के विभिन्न क्षेत्रों में पालि भाषा के संवर्धन और विकास के लिए प्रयारत संगठन के कार्यकर्ता इसमें शामिल हुए। भंते चंद्रकिर्ती ने कहा कि पालि और संस्कृत भारतीय संस्कृति की भाषा के दो प्रवाह हैं, लेकिन केन्द्र सरकार और राज्य सरकारें केवल संस्कृत के विकास के लिए ही प्रयासरत है, जबकि सभी भारतीय भाषाओं की मुल पालि के संवर्धन को लेकर सरकार का रवैया नकारात्मक दिखाई दे रहा है।
पाठ्यक्रमों में शामिल करने की मांग
समिति की ओर से पालि भाषा के संगोपन और विकास के लिए किए जाने वाले उपायों संबंधी प्रधानमंत्री को एक ज्ञापन सौंपा गया। इसमें मांग की गई है कि पालि को अभिजात भाषा का दर्जा दिए जाए, अभिजात के मानदंडो के अनुसार यह 2500 साल पुरानी भाषा है। ज्ञापन में कहा गया है कि पालि को भी मराठी, हिन्दी, गुजराती, ओरिया, संस्कृत की तरह संविधान की 8वीं अनुसूचि में शामिल किया जाए। केन्द्रीय स्कूलों में पालि विषय को संस्कृत की तरह पढ़ाया जाए। मुंबई हाई कोर्ट की नागपुर बेंच के अदेशानुसार युपीएससी की परीक्षा में पालि को शामिल करने का आदेश दिया गया, लिहाजा 2018 की परीक्षा में पालि को शामिल किया जाए।
Created On :   9 March 2018 11:51 PM IST