स्थानांतरण नियमों में और अधिक स्पष्टता लाए एमसीआई : हाईकोर्ट

MCI brings more clarity in transfer rules: High Court
स्थानांतरण नियमों में और अधिक स्पष्टता लाए एमसीआई : हाईकोर्ट
स्थानांतरण नियमों में और अधिक स्पष्टता लाए एमसीआई : हाईकोर्ट

डिजिटल डेस्क, नागपुर। बॉम्बे हाईकोर्ट की नागपुर खंडपीठ ने स्पष्ट किया है कि भारतीय वैद्यक परिषद (एमसीआई) को मेडिकल विद्यार्थियों के स्थानांतरण से जुड़ी नियमावली में और अधिक स्पष्टता लाने की जरूरत है। एमसीआई की नियमावली में लिखा गया है कि "पुख्ता आधार" होने पर विद्यार्थी एक से दूसरे कॉलेज में स्थानांतरण के पात्र हैं, बशर्ते दूसरे कॉलेज में सीट खाली हो। इसके साथ ही एमसीआई ने देश के सभी राज्यों और मेडिकल शिक्षा संस्थानों को विद्यार्थी के स्थानांतरण के लिए एनओसी जारी करते वक्त अपनी अलग नियमावली लागू करने के अधिकार दिए गए हैं। हाईकोर्ट ने माना है कि राज्यों और शिक्षा संस्थानों को इस प्रकार के अधिकार देने के कारण माइग्रेशन के नियमों में एकसूत्रता नहीं आ सकेगी। कई बार तो विरोधाभास भी होगा। बेवजह जटिलता बढ़ेगी। इसलिए एमसीआई स्वयं ही "पुख्ता आधार" कौन-कौन से होंगे यह स्पष्ट करें, तो विद्यार्थियों, शिक्षा संस्थानों और अदालतों का बहुत सा वक्त बचेगा।

यह थी याचिका 
हाईकोर्ट ने यह आदेश नागपुर निवासी एमबीबीएस छात्रा मनाली बरडे की याचिका पर सुनवाई के दौरान जारी किए हैं। फिलहाल छात्रा अकोला शासकीय चिकित्सा महाविद्यालय में पढ़ रही है। 25 जून 2020 को उसने कॉलेज प्रबंधन के जरिए चिकित्सा शिक्षा व संशोधन संचालनालय (डीएमईआर) को आवेदन देकर अपना प्रवेश नागपुर शासकीय चिकित्सा महाविद्यालय में स्थानांतरित करने की विनती की। लेकिन डीएमईआर ने उसका आवेदन खारिज कर दिया था। जिसके बाद छात्रा ने हाईकोर्ट की शरण ली थी। 

डीएमईआर का यह था नियम
याचिकाकर्ता के अनुसार एमसीआई से एक कदम आगे जाकर डीएमईआर ने नया नियम बना दिया। दलील दी कि स्वास्थ्य कारणों से स्थानांतरण की इच्छा रखने वालों को ऐसी बीमारी का प्रमाणपत्र देना होगा, जिसके कारण उन्हें 40 प्रतिशत या इससे अधिक की दिव्यांगता हो। छात्रा ने स्थानांतरण आवेदन में तर्क दिया था कि उसे सांस संबंधी बीमारी होने के कारण उसका आवेदन स्वीकार होना चाहिए। लेकिन डीएमईआर ने छात्रा को स्थानांतरण देने से इनकार कर दिया था। छात्रा के वकील डॉ. उदय वारजुकर ने दलील दी कि डीएमईआर को एमसीआई के नियमों से आगे जाकर अपना नियम बनाने के अधिकार नहीं है। मामले में सभी पक्षों को सुनने के बाद हाईकोर्ट ने डीएमईआर के फैसले को सही मानते हुए छात्रा की याचिका खारिज तो की, लेकिन यह भी माना कि एमसीआई को अपने नियमों में और अधिक स्पष्टता लाने की जरूरत है।

Created On :   6 Jan 2021 5:40 PM IST

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