'जम्मू-कश्मीर की अलग तस्वीर पेश करता है मीडिया'

Media show a separate picture of Jammu and Kashmir
'जम्मू-कश्मीर की अलग तस्वीर पेश करता है मीडिया'
'जम्मू-कश्मीर की अलग तस्वीर पेश करता है मीडिया'

डिजिटल डेस्क नागपुर। जम्मू-कश्मीर के हालात के बारे में जो खबरें आती हैं उनमें से ज्यादातर नियोजित रहती हैं। सोशल मीडिया से भी वहां की अलग तस्वीर पेश करने का प्रयास होता है, इसके लिए पाकिस्तान में टेक्नोसेवी बड़े पैमाने पर काम करते हैं। सच्चाई छिपाई जाती है। जम्मू-कश्मीर स्टडी सेंटर मीडिया विभाग की संचालक आभा खन्ना ने प्रेस कांफ्रेंस में यह बात कही। 

स्थानीय मीडिया का रहता है खास एजेंडा
उन्होंने कहा कि जम्मू-कश्मीर में स्थानीय मीडिया का खास एजेंडा रहता है। एजेंडे के अनुरुप ही खबरें प्रकाशित व प्रसारित होती हैं। मीडिया घरानों ने वहां के मीडिया कर्मियों पर निर्भर रहने के बजाय देश के काेने-कोने से राष्ट्रीय विचारधारा से जुड़े पत्रकारों व संवाददाताओं को जम्मू-कश्मीर में समाचार संकलन के लिए भेजना चाहिए। जम्मू-कश्मीर के विधान परिषद सदस्य गिरीधारी लाल रैना उर्फ अजय भारती भी पत्रकार वार्ता में उपस्थित थे। आभा खन्ना के अनुसार जम्मू-कश्मीर पर्यटन स्थल है। वहां 15 प्रतिशत भू-भाग को छोड़ दें तो अन्य क्षेत्र में अलगाववाद का जिक्र ही नहीं होता है। बड़े भू-भाग के शांतिपूर्ण जीवन की सकारात्मक खबरों के बजाय कुछ हिस्सों की नकारात्मक खबरों पर ही जाेर दिया जाता है। भय का वातावरण दिखाकर या बनाकर कुछ राजनीतिक, प्रशासनिक व अलगाववादी संगठन के नेताओं के परिवार लाभ पाते हैं।

निधि का नहीं होता सही इस्तेमाल
अजय भारती ने कहा कि गैर मुस्लिम अल्पसंख्यक समुदाय को विविध दिक्कतों का सामना करना पड़ा है। केंद्र से विकास निधि ली जाती है, पर राज्य सरकार उसका सही इस्तेमाल नहीं करती है। हद है कि, अलगाववादी नेताओं व तत्वों की बातों को दिल्ली का मीडिया भी महत्व देने लगता है। पीडीपी से भाजपा ने शर्तों पर गठबंधन किया है। लिहाजा कई मामलों में सरकार में शामिल लोगों को भी मजबूर रहना पड़ा है। समान नागरिकता का मुद्दा दरकिनार कर दिया गया है। धारा 370 को लेकर चर्चा तक नहीं होती है। पत्रकार संघ के अध्यक्ष ब्रम्हाशंकर त्रिपाठी, पत्रकार भवन ट्रस्ट के सचिव शिरीष बोरकर उपस्थित थे।
 

Created On :   16 March 2018 12:34 PM IST

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