सरकारी हास्पिटल में दवाएं खत्म, अब दुआओं का सहारा

Medicines end in medical hospital, now support of prayers
सरकारी हास्पिटल में दवाएं खत्म, अब दुआओं का सहारा
सरकारी हास्पिटल में दवाएं खत्म, अब दुआओं का सहारा

डिजिटल डेस्क, नागपुर।  जिले में नॉन कोविड मरीजों की संख्या बढ़ गई है। अस्पतालों में मरीजों की लाइन लगी हुई है। आईसीयू और वेंटिलेटर तक उपलब्ध नहीं हो रहे हैं। इसी बीच इंदिरा गांधी शासकीय चिकित्सा महाविद्यालय व अस्पताल में दवाइयों की भी कमी हो गई है। यहां पर सभी विभागों में दैनिक रूप से उपयोग होने वाले करीब 57 तरह के इंजेक्शन और 30 तरह की आई ड्रॉप लोशन और अन्य वस्तुएं तथा 43 तरह की दवाइयां उपलब्ध नहीं है। जिस कंपनी से इन दवाओं की सप्लाई होती थी वहां से दो माह मांग के अनुरूप सप्लाई पूरी तरह ठप है। इसके कारण डॉक्टर मजबूरन मरीजों को दवाइयों के लिए बाहर भेज रहे हैं।

अस्पताल से नि:शुल्क मिलती है दवाई : इंदिरा गांधी शासकीय महाविद्यालय व अस्पताल में सभी वार्ड लगभग भरे हुए हैं। मरीजों को आपातकाल में आईसीयू भी उपलब्ध नहीं हो रहे हैं। इसके साथ ही प्रतिदिन उपयोग में आने वाली दवाइयां भी अस्पताल से उपलब्ध नहीं हो पा रही हैं। अस्पताल में भर्ती मरीज और ओपीडी में आने वाले मरीजों को दवाइयां डिस्पेंसरी से मिलती है। यहां नि:शुल्क दवाइयां दी जाती हैं, लेकिन कई दवाइयां उपलब्ध नहीं होने के कारण मरीजों को बाहर निजी केमिस्ट से दवाइयां लेना पड़ रही है। इसमें बच्चों को लगने वाली वैक्सीन, रैबिज, एंटीबॉयोटिक, मल्टीविटामिन, कैल्शियम, एलर्जिक और अन्य दवाइयां इंजेक्क्शन भी उपलब्ध नहीं हो पा रही है। 

डॉक्टरों से करते हैं बहस : ओपीडी और भर्ती मरीजों को इलाज के दौरान डॉक्टर पर्ची पर दवाई लिख कर देते हैं, जिसके बाद परिजन डिस्पेंसरी से यह दवाई लेते हैं। वहां जाने के बाद कुछ ही दवाई मिल पाती है। बाकी दवाइयां बाहर से लाने को कहा जाता है। कई दवाइयां बाहर महंगी मिलती है, लेकिन जेनरिक की जगह ब्रांडेड दवाइयां मिलती हैं। इसके कारण मरीज के परिजन कई बार गुस्से में आकर डॉक्टरों से भी बहस और झगड़ा करने लगते हैं।  

10% खरीदी लोकल स्तर पर कर सकते हैं
पूरा मेडिसिन पर्चेस हाफकिन की तरफ से होता है। पूरे बजट में से 90 प्रतिशत खरीदी हाफकिन से करनी है और 10 प्रतिशत लोकल पर्चेस का अधिकार है। इसलिए जीवन बचाने वाले जो ड्रग हैं जो आपातकाल में उपयोग होते हैं, वह लोकल पर्चेस से खरीद रहे हैं। इसके लिए कंपनी को प्रस्ताव भेजे हैं। संस्था स्तर पर लगातार फॉलोअप ले रहे हैं। -डॉ. सागर पांडे, उप-अधीक्षक, मेयो अस्पताल

यह 43 दवाइयां नहीं हैं उपलब्ध
-एमोक्सिसिलिन 250 एमजी, 500 एमजी
-फ्लूओक्सेटीन 20 एमजी
-ओमेप्रेजोल 20 एमजी
-एसिटाजोलेमाइड 250 एमजी
-एसिटाइज सेलिसाइक्लिक एसिड 300 एमजी
-अल्बेंडाजोल 400 एमजी
- एम्लूमिना, मैग्नेशिया, सिमेथिकॉन 500
-बी कॉम्प्लेक्स
-कैल्शियम+विटामिन
-कैल्शियम कार्बोनेट 500 एमजी
-क्लोरोफेनिरामिन मेलेट 4 एमजी
- क्लोरोथेलिडोन 12.5 एमजी
-क्लोनाजेपाम 0.5 एमजी
-क्लोजेपाइन 25, 50 एमजी
-डेफेरासिरॉक्स 400 एमजी

यह 57 इंजेक्शन नहीं हैं
- हैमोफिलियस टाइप बी वैक्सीन
-हेपाटाइटिस बी वैक्सीन 0.5 एमएल पीडियाट्रिक, एडल्ट
-एसिक्लोविर 250 एमजी
-एडेनोसिन3 एमजी
- अल्टेप्लेज 20 एमजी
-एमिकासिन 
-एम्पीसिलिन
-एम्पीसिलिन + क्लोक्सेसिलिन
-एंटी डी इम्यूनोग्लोबुलिन
-कैफिन साइट्रेट 20 एमजी
-सेफोटैक्साइम
-सेफ्टाजिडीम
-सिटिकोलिन
-क्लिनडेमाइसिन
-कॉलिस्टीमिथेट 2
-डेक्समेडथ्टोमाइडीन
-डाइक्लोमाइन
-डोबुटोमिन
-इटोमिडेट
-हालोपेरिडोल
-हाइसोसिन बुटाइल ब्रोमाइड
-इंपेनम+सिलेस्टेटाइन
-इंफ्लुएंजा वैक्सीन 0.5 एमएल
-आयोडेक्सानोल 329 एमजीएल, 50 एमएल
-आयोहेक्सोल 320 एमजीएल
-किटामाइन
-लाबेटालोल 20 एमजी
-लिग्नोकेन विद एड्रेनाइलान
-लिग्नोकेन 2%
-मेरोपेनेम
-मेटोक्लोप्रेमाइड
-मेटोप्रोलोल 1 एमजी
-मिलरिनोन लेक्टेट 10 एमजी
-एमवीबीसी
-नियोस्टिगमाइन
-ऑक्ट्रेओटाइड
- पेंटाप्रेजोल
-फेनिरामाइन, मेलेएट
-फिनोबार्बिटोन
-फिनाइटोइन
- प्रोमिथेजिन
-प्रोफोल 1 % 
-सक्सिनिल्कोलिन
-थियोपेंटोन
-ट्रेनेक्सामिक एसिड
-वैसोप्रेसिन 20 एमजी
-विट के1
-आयोपेमेडोल
-मेनिंगोकोक्कल पॉलि वैक्सीन
-रैबिज एंटीसीरम 300आईयू/एमएल
-स्वाइन फ्लू वैक्सीन
-टाइफॉइड वैक्सीन

 

Created On :   6 Aug 2021 3:16 PM IST

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