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मेलघाट की ‘हुडी’ पुकारती है अपनों को, फिर सब पहुंचकर खेलते हैं होली

डिजिटल डेस्क, धारणी (अमरावती)। ‘होली का डांडा, जल गयो क्या। मोहिली माला ,नमरू तेरा धोती जल गयो क्या।। होली का डांडा जल गयो क्या..sss..’
ऐसे ही और लोकगीतों के साथ मेलघाट में बसनेवाली कोरकू जनजाति ‘हुडी’ यानी होलिका के आस पास ढोल-नगाड़ों की थापों के लय के साथ गाते हैं और उसकी धुन में थिरकते हैं। यहां के प्रमुख शहर धारणी के बाजारों में होली का बाजार अब अपने पूरे शराब पर पहुंच चुका है। होली के करीब आते ही यहां बजारों में होली की सामग्रियों की खरीदारी जोर पकड़े लगी है। बाजार में उमड़ी भीड़ बता रही है कि इस साल होली का त्योहार मेलघाट के आदिवासियों के बीच पूरे हर्षोल्लास के साथ मनाए जाने की संभावना है।
सब ‘हुडी’ के इर्द-गिर्द
कोरोना प्रतिबंधों के कारण बीते दो सालों से होली का त्योहार फीका रहा। लेकिन इस साल स्थिति में सुधार होने से होली धूम धाम से मनाए जाने की उम्मीद है। सजे-धजे बाजार में लोग अपने तथा परिवार के लिए खरीदारी करते नजर आ रहे हैं। कोरकू प्रजाति के लोग होलिका दहन के दिन बड़ी धूमधाम से गांव के बीच ढोल-नगाड़ों के साथ हुडी के आस पास इकट्ठा होते हैं। मेलघाट के होली उत्सव में मुख्य रूप से होलीका दहन वाले दिन पूरा परिवार नये वस्त्रों को धारण कर होली जलाने पहुंचता है। ढोल-नगाड़ों की धुन पर जलती हुई होलिका के इर्द-गिर्द नाच गा कर खुशियां मनाई जाती हैं। गुलाल उड़ाए जाते हैं, रंग उड़ेले जाते हैं और एक दूसरे को शुभकामनाएं दी जाती हैं।
पूरे 5 दिन उत्सव
पांच दिनों की होली की रवायत शहरों और कस्बों में कम हो चली है, लेकिन आदिवासी जनजातियों में ये उत्सव हकीकत में 5 दिनों तक मनाया जाता है। पहले दिन होलिका दहन, दूसरे दिन रंग खएलने के बनाद तीसरे और चौथे दिन अपने परिवार तथा रिश्तेदार और मित्रो के को मिठाइयां बांटी जाती है। पांचवे दिन झैरी बाबा का पूजन कर पंचमी मना कर होली उत्सव का सत्रावसान होता है।
होली में सब पहुंचते हैं घर
भले ही रोजगार की तलाश में मेलघाट के कोरकू जनजाति के युवा बाहर चले जाते हों। लेकिन होली एक ऐसा त्योहार है जिसमें वे देश के किसी भी कोने में क्यों न रहें, मेलघाट में अपने घरों में जरूर पहुंचते हैं और होली मिलजुल कर मनाते हैं। यही वजह है कि मेलघाट के बड़े हाट बाजारोंवाले शहर धारणी में होली से पहले जनकर खरीदारों की भीड़ लगी रहती है। यहां कोकुओं के आराध्य देव मेघनात बाबा के नाम पर मेला भी लगता है, लेकिन जिले में कोरोना प्रतिबंधों के चलते इस बार भी ये मेला नहीं लग पाया है।
Created On :   15 March 2022 2:45 PM IST