पटरियों की स्थिति भांपने के लिए इलेक्ट्रिकल डिवाइस का सहारा लेगी मेट्रो

Metro use electrical equipment to track the position of tracks
पटरियों की स्थिति भांपने के लिए इलेक्ट्रिकल डिवाइस का सहारा लेगी मेट्रो
पटरियों की स्थिति भांपने के लिए इलेक्ट्रिकल डिवाइस का सहारा लेगी मेट्रो

डिजिटल डेस्क, नागपुर। जमीन से 26 मीटर तक की ऊंचाई पर दौड़नेवाली मेट्रो को रेल क्रेक से कोई डर नहीं रहेगा, क्योंकि पटरियों की स्थिति भांपने के लिए इलेक्ट्रिकल डिवाइस का सहारा लिया जाएगा। यदि  पटरी पर हल्का क्रेक भी होता है, तो इस तकनीक से ऑपरेटिंग यानी कंट्रोल रूम में इसके संकेत मिल जाएंगे। ऐसे में गाड़ियों का आवागमन रोकते हुए पटरी को पूर्ववत स्थिति में किया जा सकता है। 

डर है तो इस बात का

नागपुर शहर को चारों दिशा से जोड़नेवाली मेट्रो रेल के लिए चारों दिशा में 30 हजार मीटर का ट्रैक बिछाया जा रहा है। करीब 34 स्टेशनों को आपस में जोड़ने का मुख्य कार्य यह ट्रैक ही करनेवाला है। ऐसे में इसकी मजबूती की ओर ध्यान देना जरूरी है।  मेट्रो के ट्रैक की क्षमता रेलवे से भले ही ज्यादा है, लेकिन रेलवे ट्रैक की सुरक्षा को लेकर जिन बातों से डर होता है, उन्हीं बातों का डर इन ट्रैक को भी है। खासकर ठंड में पटरियों के चटखने का डर। रेलवे में पटरियों के चटखने से कई गंभीर हादसे हुए हैं। हालांकि रफ्तार कम रहने पर हादसे नाममात्र भी रहे हैं। मेट्रो की रफ्तार के अनुसार जमीन से 26 किमी ऊंचाई पर रेल क्रेक को लेकर विशेष सतर्कता बरतनी जरूरी है। इसी बात को ध्यान में रखते हुए मेट्रो प्रशासन ने रात के वक्त गश्त के सहारे पटरियों की जांच करने का ऑप्शन तो रखा ही है, साथ ही एक इलेक्ट्रिकल डिवाइस का सहारा भी लिया जाएगा। यह तकनीक सभी रेल पटरियों पर टप्पे-टप्पे में लगाई जानेवाली है। मामूली क्रेक पर भी संबंधित अधिकारियों को इसके संकेत मिल जाएंगे।  

विशेष धातु का हो रहा इस्तेमाल

ट्रैक को लंबा बनाने के लिए टुकड़ों-टुकड़ों में जोड़ा जाता है। अधिकारियों के अनुसार करीब 18 मीटर के एक ट्रैक को दूसरे ट्रैक के साथ जोड़ा जा रहा है। इन दोनों ट्रैक को जिस जगह से जोड़ा जाता है, वहां भीषण गर्मी या बहुत ज्यादा ठंड में वेल्ड फेल्योर की घटना हो जाती है। रेलवे पटरियों पर कई बार ऐसी घटना देखने मिली है, लेकिन अधिकारियों के अनुसार मेट्रो में पटरियों को एक विशेष धातु के माध्यम से मशीनों के सहारे जोड़ा जा रहा है, इससे वेल्ड फेल्योर का खतरा न के बराबर हैं।

Created On :   13 Feb 2019 7:11 AM GMT

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