बढ़ रहा डेंगू का प्रकोप, मेडिकल में रैपिड किट के लाले, निजी अस्पताल में मरीजों से लूट

Micro biology laboratory does not have dengue rapid kit in Nagpur
बढ़ रहा डेंगू का प्रकोप, मेडिकल में रैपिड किट के लाले, निजी अस्पताल में मरीजों से लूट
बढ़ रहा डेंगू का प्रकोप, मेडिकल में रैपिड किट के लाले, निजी अस्पताल में मरीजों से लूट

डिजिटल डेस्क, नागपुर। डेंगू का प्रकोप बढ़ रहा है। शासकीय मेडिकल अस्पताल में डेंगू की रैपिड किट के लाले पड़े हैं। ओपीडी से रोज सैकड़ों मरीजों को डेंगू का टेस्ट कराने की सलाह दी जा रही है। सूक्ष्म जीवशास्त्र प्रयोगशाला में जाने पर पता चलता है, डेंगू रैपिड किट नहीं है। मेडिकल में टेस्ट नहीं हो पाने से मजबूरी में मरीजों को निजी अस्पतालों में जांच करवानी पड़ रही है। वहां भी एनएस-1 प्राथमिक जांच होती है। इसकी रिपोर्ट पॉजिटिव आने पर डेंगू की पुष्टि के लिए एलाइजा टेस्ट कराया जाता है। निजी अस्पताल से एनएस-1 पॉजिटिव मरीजों के नमूने मनपा के कीट रोग नियंत्रण विभाग के पास भेजे जा रहे हैं। विभाग के पास मानव संसाधन की कमी और जांच क्षमता कम पड़ने से 1300 नमूने पेंडिंग पड़े हैं। रोग निदान में लेटलतीफी के चलते मरीजों को उपचार नहीं मिलने से जान खतरे में पड़ी है। डेंगू की प्राथमिक जांच कराने में कम पड़ रहे स्वास्थ्य विभाग ने मरीजों को मरने के लिए छोड़ दिया है। 

अस्पताल में लगी भीड़, प्रतिदिन 200 मरीजों को टेस्ट की सलाह
मेडिकल में मरीजों की भीड़ लग रही है। ओपीडी में प्रति दिन डेंगू के संदिग्ध 200 मरीजों को टेस्ट कराने की सलाह दी जा रही है। मेडिकल की सूक्ष्म जीवशास्त्र प्रयोगशाला में डेंगू के रैपिड किट की नियमित आपूर्ति नहीं हो रही है। किट नहीं रहने से मरीजों को वापस लौटाया जा रहा है। निराश मरीजों को जांच के िलए निजी अस्पतालों की शरण लेनी पड़ रही है। 

भर्ती मरीजों को प्राथमिकता : रैपिड किट की कमी के चलते अस्पताल में भर्ती मरीजों की टेस्ट को प्राथमिकता दी जा रही है। नतीजा ओपीडी के मरीजों को प्रयोगशाला से वापस लौटाया जा रहा है।

एलाइजा टेस्ट के शहर में 3 सेंटर : डेंगू की प्राथमिक जांच के लिए निजी अस्पतालों में सिर्फ एनएस-1 टेस्ट होती है। इसमें पॉजिटिव आने पर एलाइजा टेस्ट करवानी पड़ती है। शहर के 3 सेंटर पर यह जांच होती है। शासकीय मेडिकल अस्पताल, मेयो और मनपा द्वारा संचालित प्रभाकर दटके अस्पताल में यह सुविधा है।
 
सप्ताह में 5-10 किट की आपूर्ति
सप्ताह में 5 या 10 कीट की आपूर्ति हो रही है। एक किट में 10 मरीजों की जांच होती है। मरीजों को वापस करना पड़ रहा है। मौके का फायदा उठाकर अनेक निजी अस्पताल मरीजों को लूट रहे हैं। 

इसलिए बढ़ रही पेंडेंसी  
शहर में 118 निजी अस्पतालों में एनएस-1 टेस्ट होती है। निजी अस्पतालों में एनएस-1 टेस्ट की रिपोर्ट पॉजिटिव आने पर एलाइजा टेस्ट के लिए मरीजों के रक्त नमूने मनपा के कीटरोग नियंत्रण विभाग के पास भेजे जाते हैं। कीटरोग नियंत्रण विभाग के पास उपलब्ध साधन सामग्री और सीमित मानव संसाधन के चलते प्रति दिन मुश्किल से 80-90 नमूनों की जांच होती है। क्षमता से अधिक नमूने आने से पेंडेंसी बढ़ रही है। सितंबर महीने में 3556 संदिग्ध नमूने मिले थे। अक्टूबर की 15 तारीख तक उसी की जांच चली। अक्टूबर महीने में आए नमूनों की जांच चल रही है। विभाग के पास 1270 रक्त नमूने पेंडिंग हैं।
 
टेस्ट के 600 रुपए से अधिक लेना मना है

डेंगू का प्रकोप होने पर टेस्ट के नाम पर मरीजों की लूट होती है। इसे रोकने के लिए स्वास्थ्य विभाग ने वर्ष 2016 में शासनादेश जारी किया था। इसमें डेंगू की टेस्ट के लिए निजी अस्पतालों पर 600 रुपए से अधिक रकम वसूलने पर मनाई की गई है। डेंगू की जांच कराने वाले शहर के सभी अस्पतालों को मनपा के स्वास्थ्य विभाग की ओर से पत्र भेजकर शासनादेश का पालन करने के लिए सूचित किया गया है। 

डेंगू के रैपिड किट कम पड़ रहे हैं
डेंगू के मरीज जांच के लिए बड़ी संख्या में प्रयोगशाला में आ रहे हैं। मरीजों के मुकाबले रैपीड किट कम पड़ रहे हैं। समय-समय पर आपूर्ति की जाती है। टेस्ट कीट उपलब्ध रहने पर टेस्ट किया जाता है। - डॉ. वंदना अग्रवाल, प्रभारी, सूक्ष्म जीवशास्त्र विभाग, शासकीय मेडिकल अस्पताल
 

Created On :   27 Oct 2018 8:56 AM GMT

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