सूखाग्रस्त इलाकों का दौरा करेंगे मंत्री, बैठक में हुई चर्चा

Minister will visit drought hit areas - Discussed  in Council meeting
सूखाग्रस्त इलाकों का दौरा करेंगे मंत्री, बैठक में हुई चर्चा
सूखाग्रस्त इलाकों का दौरा करेंगे मंत्री, बैठक में हुई चर्चा

डिजिटल डेस्क, मुंबई। राज्य के सूखाग्रस्त इलाको का हाल जानने के लिए उस इलाके के पालक मंत्री व मंत्री गांवों का दौरा करेंगे। इलाके की जानकारी लेकर मंत्री अपनी रिपोर्ट मुख्यमंत्री को सौपेंगे। मंगलवार को राज्य मंत्री परिषद की बैठक में भी राज्य में सूखे की स्थिति पर चर्चा हुई। महाराष्ट्र के कई इलाकों में कम बारिश होने से सूखे की स्थिति बन गई है, विशेषकर मराठवाडा और उत्तर महाराष्ट्र में स्थिति खराब हो रही है। ऐसे में राज्य के मुख्यमंत्री देवेंद्र फड़णवीस ने मंत्रियों को सूखाग्रस्त तहसीलों में जाकर स्थिति का जायजा लेने के निर्देश दिए हैं। मंत्री और पालक मंत्री अपने-अपने जिलों में सूखे का जायजा लेने के लिए कैंप लगाएंगे।

मंगलवार को मंत्रिपरिषद की बैठक के बाद पत्रकारों से बातचीत में मुख्यमंत्री ने कहा कि महाराष्ट्र के कई इलाकों में सूखे की स्थिति नजर आ रही है। राज्य में औसत से कम करीब 77 फीसदी ही बारिश हुई है। सूखे से निपटने के लिए उठाए जाने वाले कदमों की बाबत मंत्रिपरिषद की बैठक में चर्चा हुई। फड़नवीस ने कहा कि मंत्रिपरिषद की बैठक में केंद्र सरकार के ड्राउट मैनुएल के अनुसार काम करने पर सहमति बनी है। इस मैनुअल में सूखे से निपटने के लिए उठाये जाने वाले कदमों और उसकी कालावधि भी तय की गई है।

मुख्यमंत्री ने कहा कि सबसे पहले हम सूखे जैसी स्थिति की घोषणा करेंगे। इसके बाद केंद्रीय टीम महाराष्ट्र आएगी। सूखे की संभावित स्थिति को देखते हुए पानी, फसल की क्षति और पशुओं के चारे को लेकर पहले ही योजना तैयार कर ली गई है। सभी मंत्रियों को निर्देश दिया गया है कि वे सूखा प्रभावित तहसीलों में जाकर हालात का जायजा लें। मुख्यमंत्री ने कहा कि मंत्रियों के प्रभावित इलाके में जाने से मशीनरी सक्रिय होती है और काउंटर चेक भी होता है।

ये इलाके हैं प्रभावित

उत्तर महाराष्ट्र में धुलिया, नंदूरबार, जलगांव और अहमदनगर सहित मराठवाड़ा में औरंगाबाद, उस्मानाबाद, जालना, नांदेड, परभणी, बीड, लातूर, हिंगोली जिलों को सरकार ने सूखाग्रस्त घोषित करने की प्रक्रिया शुरू की है। आगामी 31 अक्टूबर से पहले इन जिलों को सूखा प्रभावित घोषित किया जाएगा। राज्य के 13 जिलों में कम बारिश होने से बांधों का जलस्तर कम हुआ है। इससे गर्मी के मौसम में जलसंकट गहराने की आशंका बन गई है। राज्य में फिलहाल 329 टैंकरों के माध्यम से जलापूर्ति की जा रही है। इसमें सबसे अधिक टैंकर मराठवाडा में चल रहे हैं। मराठवाड़ा क्षेत्र के औरंगाबाद और नाशिक मंडलों में इस साल सबसे कम बारिश हुई है। वहां के बांधों में पानी भंडार क्रमश: 27.59 फीसदी और 64.89 फीसदी ही बचा है।

Created On :   9 Oct 2018 10:09 PM IST

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