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ड्रग माफिया मासूम बच्चों को बना रहे शिकार, स्मैक की लत लगाकर बना रहे है लुटेरा

डिजिटल डेस्क जबलपुर। अरे ले ले यार...एक बार में कुछ नहीं होता। अरे..ये तो अभी भी अपने मां-बाप का छोटा बच्चा ही है। जरा..ट्राई तो कर, मजा न आए तो दोबारा मत लेना। यही वो शब्द हैं जो अच्छे खासे युवाओं को टारगेट कर स्मैक का आदी बना रहे हैं। युवाओं को स्मैक देने वाला गिरोह शहर में सक्रिय है। जो पहले छोटी-मोटी पार्टी में मुफ्त स्मैक देते हैं फिर लत लग जाने पर मोटी रकम वसूल कर स्मैक बेचते हैं। स्मैकी युवक अपना शौक पूरा करने लूट करते हैं, शुरूआत घर से होती है। बाद में अपना सॉफ्ट टारगेट महिलाओं को बनाते हैं। राह चलती महिलाओं के गले से चेन खींचना, पर्स छुड़ाकर भागना, मोबाइल छीन लेना जैसे अपराधों में लिप्त हो जाते हैं। क्राइम ब्रांच की टीम ने मोबाइल लूटने वाले ऐसे ही तीन युवाओं को गिरफ्तार किया। राज खुला तो पता चला कि तीनों युवक स्मैक के आदी थे और स्मैक खरीदने लूट कर रहे थे।
मजे की बात तो यह है कि तीनों युवकों के परिवार वालों को यह भली भांति पता है कि उनका बेटा स्मैक का आदी है। तीनों ने अपने बेटों को स्मैक की लत से छुटकारा दिलाने नशा मुक्ति केन्द्र रामपुर भेजा। जहां तीनों की मुलाकात हुई वे आपस में दोस्त बने फिर मिलकर महिलाओं से लूट करने लगे। पुलिस ने बताया कि रात के वक्त सूनसान सड़कों पर खड़े गरीबों के ठेले, पैडल रिक्शा चोरी करने से भी यह बाज नहीं आते हैं।
संभ्रांत परिवार के हैं युवक
1. पहला युवक
नाम-शुभम जायसवाल (उम्र 24 साल)
पिता का नाम-सूरज जायसवाल
पिता- अच्छे कवि हैं
2. दूसरा युवक
नाम- रजत तिवारी (उम्र 23 साल)
पिता का नाम-ब्रजेश तिवारी
पिता - एमपीईबी में कार्यरत
3.तीसरा युवक
नाम-सोनू चौधरी (उम्र 24 साल )
पिता का नाम- श्याम लाल चौधरी
पिता- पनागर थाने में एएसआई
> 23 जनवरी 2018 को मरियम चौक के पास एक्टिवा से जा रही डॉ. निधी दरबारी से लूटा मोबाइल।
>6 फरवरी 2018 को जैक्सन पेट्रोल पंप के पास श्रीमती स्वयं प्रभा तिवारी का मोबाइल लूटा था।
>26 फरवरी 2018 को इंद्रपुरी ग्वारीघाट में श्रीमती ममता खरे से लूटा गया मोबाइल।
>28 फरवरी 2018 को सेन्ट थामस स्कूल के पास शिक्षिका तृप्ति जायसवाल का बैग लूटा।
नोट- आरोपियों ने काले रंग की मोटर साइकिल जिसमें पीछे नंबर नहीं लिखा था में बैठकर वारदातें कीं।
राजस्थान से आती है खेप
शहर में स्मैक की खेप मुख्यतौर पर राजस्थान से आती है। मंदसौर भी स्मैक का एक प्रमुख गढ़ माना जाता है। यदि देश में स्मैक की बात हो तो सक्रिय गिरोह अफगानिस्तान से नेपाल के जरिए पैठ बनाते हैं। सूत्र बताते हैं कि स्मैक के जरिए जो राशि आती है वो विदेशों तक जाती है और संदिग्ध संगठनों के हथियार बनाने के काम आती है।

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Created On :   6 March 2018 1:27 PM IST