प्रेम संबंधों में नाबालिग की सहमति का कोई महत्व नहीं, 10 साल की सजा कायम

Minors consent has no importance in love affairs, 10 years sentence remains
प्रेम संबंधों में नाबालिग की सहमति का कोई महत्व नहीं, 10 साल की सजा कायम
हाईकोर्ट का फैसला प्रेम संबंधों में नाबालिग की सहमति का कोई महत्व नहीं, 10 साल की सजा कायम

डिजिटल डेस्क, नागपुर। प्रेम संबंधों के चलते 14 वर्षीय किशोरी को घर से भगाकर उसके साथ विवाह करने वाले 22 वषीय आरोपी की सजा काे कायम रखते हुए बॉम्बे हाईकोर्ट की नागपुर खंडपीठ ने साफ किया है कि नाबालिग के साथ उसकी सहमति से विवाह या शारीरिक संबंध बनाना कानून अपराध है। क्योंकि कानून की दृष्टि में शारीरिक संबंधों के मामलों में एक नाबालिग की सहमति का कोई अर्थ नहीं होता।  मामले में आरोपी का नाम गजानन राठौड़ (22, निवासी नेर यवतमाल) है। निचली अदालत ने उसे अपहरण, दुष्कर्म और पॉक्सो अधिनियम के तहत दोषी करार देकर 10 वर्ष की जेल और 11 हजार रुपए जुर्माने की सजा सुनाई है।

आरोपी ने निचली अदालत के फैसले को हाईकोर्ट में चुनौती दी थी।  27 जून 2016 को आरोपी क्षेत्र की ही एक 14 वर्षीय किशोरी को घर से भगाकर ले गया था। अपने एक रिश्तेदार के घर पर दोनों कुछ दिन रहे। इस बीच आरोपी ने किशोरी से विवाह किया और शारीरिक संबंध स्थापित कर लिए। कुछ दिनों बाद जब किशोरी अपने परिजनों के पास लौटी, तो मामला पुलिस तक पहुंचा। पुलिस ने आरोपी के खिलाफ पॉक्सो और भादवि धारा 376, 363 व अन्य के तहत मामला दर्ज किया था। इस पूरे प्रकरण में आरोपी के अधिवक्ता की दलील यही थी कि आरोपी को फंसाया जा रहा है, उसने किशोरी की सहमति से संबंध स्थापित किए थे। लेकिन हाईकोर्ट ने इस दलील को खारिज करते हुए स्पष्ट कर दिया कि ऐसे मामलों में नाबालिग की सहमति का कोई अर्थ नहीं रह जाता। हाईकोर्ट ने इस निरीक्षण के साथ याचिका खारिज करते हुए युवक की सजा कायम रखी।
 

Created On :   4 Sept 2021 5:49 PM IST

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