जीर्ण दस्तावेज खंगालने में लग गए दो माह, मिले 50 मीसा बंदियों के ही रिकार्ड

Misa prisoners pension announcement have not in record
जीर्ण दस्तावेज खंगालने में लग गए दो माह, मिले 50 मीसा बंदियों के ही रिकार्ड
जीर्ण दस्तावेज खंगालने में लग गए दो माह, मिले 50 मीसा बंदियों के ही रिकार्ड

डिजिटल डेस्क, नागपुर। मीसा कैदियों को पेंशन देने की घोषणा हुए दो माह बीत गए लेकिन जिला प्रशासन को अब तक पूरे  कैदियों का रिकार्ड नहीं मिला है।  जेल प्रशासन ने दो महीने बाद जिला प्रशासन को केवल 50 मीसा कैदियों का ही रिकार्ड दिया। जेल प्रशासन ने सफाई दी कि जीर्ण हुआ मीसा कैदियों का रिकार्ड पढ़ने में मुश्किल हो रही है। उल्लेखनीय है कि  आपातकाल (1975 से 1977) के दौरान नागपुर सहित विदर्भ से पक़ड़े गए लोगों को नागपुर की सेंट्रल जेल में बंद किया गया था। पुलिस ने इन्हें मीसा कानून के तहत गिरफ्तार किया था। राज्य सरकार ने  मीसा कैदियों को पेंशन देने की घोषणा करने के साथ ही इसके लिए मंत्री की अध्यक्षता में उच्चस्तरीय कमेटी भी बनाई है। कमेटी अन्य राज्यों में मीसा कैदियों को दी जा रही पेंशन व अन्य सुविधाआें का अध्ययन कर तत्संबंधी रिपोर्ट राज्य सरकार को सौंपेगी।

जेल प्रशासन ने देरी से सौंपी वह भी सिर्फ 50 कैदियों की रिपोर्ट
जिला प्रशासन ने सेंट्रल जेल प्रशासन को पत्र लिखकर नागपुर जिले (शहर व ग्रामीण) के मीसा कैदियों का रिकार्ड मांगा। जेल प्रशासन ने रिकार्ड देने में काफी देरी की आैर अब दो महीने बाद केवल 50 कैदियों का ही रिकार्ड दिया। जिला प्रशासन इतने कम कैदियों की रिकार्ड से संतुष्ट नहीं है। जिला प्रशासन ने स्मरण पत्र भेजने का फैसला किया है। जिला प्रशासन ने पुलिस प्रशासन से भी रिकार्ड प्राप्त करने की कोशिश की, लेकिन पुलिस विभाग ने कैदियों का रिकार्ड मिलने की सही जगह जेल प्रशासन होने का जवाब दे दिया।

300 से अधिक से किया दावा
इधर 300 ज्यादा लोगों ने मीसा कैदियों को मिलनेवाली पेंशन पर दावा ठोंक दिया है। इन लोगों ने जिला प्रशासन के माध्यम से राज्य सरकार के समक्ष यह दावा ठोंका है। हालांकि इनकी मांग या दावा  अभी तक राज्य सरकार तक नहीं पहुंचा है। जिला प्रशासन इन लोगों का जेल में रहने के दावा सही है या नहीं, इसकी पुष्टि के लिए जेल या पुलिस प्रशासन से जानकारी मंागेगा। दस्तावेजों व िरकार्ड की पुष्टि होने के बाद ही जिला प्रशासन इन्हें मीसा कैदी मानेगा। जिला प्रशासन के पुष्टि के बाद ही संबंधित लोग पेंशन के हकदार होंगे। कुछ लोगों ने पेंशन की बजाय एकमुश्त राशि देने की मांग की है। इनका दावा है कि अधिकांश मीसा कैदी अब जीवित नहीं है। जो है, उनकी उम्र बहुत ज्यादा हो गई है, इसलिए एकमुश्त राशि देकर सम्मानित किया जाए।

जीर्ण दस्तावेजों को खंगालने लग रहा समय
जिले से 300 से ज्यादा मीसा कैदियों के होने की प्रारंभिक जानकारी है। जेल प्रशासन व पुलिस प्रशासन से मदद ली जा रही है। जेल प्रशासन ने केवल 50 मीसा कैदियों का रिकार्ड भेजा, जो नाकाफी है। मीसा कैदियों के दावे की पुष्टि के लिए हमारे पास रिकार्ड हाेना जरूरी है। जेल प्रशासन को स्मरण पत्र भेजा जाएगा। जीर्ण दस्तावेजों को पढ़ने के लिए जो जरूरी है, वह करना होगा। पुलिस प्रशासन की भी मदद ली जा रही है। कोई मीसा कैदी पेंशन से वंचित नहीं रहना चाहिए। 
-रवींद्र खजांजी, निवासी उपजिलाधिकारी, नागपुर 

Created On :   23 March 2018 11:25 AM IST

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