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करोड़ों का कर्ज लेने वालों पर बैंकों की कड़ी नजर

लिमेश कुमार जंगम , नागपुर। PNB स्कैम के बाद सभी स्तर के बैंकों में ऋण निगरानी की कार्यप्रणाली को चुस्त-दुरुस्त किए जा रहे हैं। इसी कड़ी में नागपुर जिले के उद्योगपति व बड़े कर्ज लेने वाले 70 से अधिक करोड़पति कर्जधारकों के खातों पर संबंधित बैंक के ऋण निगरानी टीम की कड़ी नजर है। एक से 5 करोड़ एवं उससे अधिक की राशि का कर्ज जिन्होंने ले रखा है और जो लोन अकाउंट नॉन-परफॉर्मिंग एसेट (एनपीए) की कगार पर खड़े हैं, उनके खातों की गहनता से जांच की जा रही है। इसके अलावा लाखों का कर्ज लेने वाले 400 कर्जधारकों के खातों का लेन-देन एवं 60 हजार से अधिक सामान्य कर्जधारकों के कर्ज चुकता करने की प्रक्रिया पर बैंक की विविध शाखाओं तथा ऋण निगरानी टीम की ओर से विशेष ध्यान दिया जा रहा है। एनपीए रोकने के लिए बैंक के विशेषज्ञ एवं अधिकारियों का दल एड़ी-चोटी का जोर लगा रहा है।
खातों का खुलासा करने से कर्ज वसूली में दिक्कत
किसी भी बैंक से लिए गए बड़े कर्ज की राशि एवं कर्जधारकों के नामों का खुलासा कोई बैंक करना नहीं चाहेगा। इससे संबंधित बैंक के वित्तीय व्यवस्था तथा कर्ज वसूली की प्रक्रिया को चोट पहुंचने का अंदेशा जताया जाता रहा है। उक्त तरह के कर्ज के मामले गोपनीयता के दायरे में शामिल होने की जानकारी दी जाती रही है। विश्वसनीय सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार, एक से 5 करोड़ रुपए या उससे अधिक कर्ज की राशि पाने वाले नागपुर के करीब 70 कर्जधारकों के खातों पर तथा उनके लोन की ईएमआई, प्रिंसिपल या इंटरेस्ट ड्यू डेट को लेकर ऋण निगरानी टीम की नजर है। वहीं एक से 10 लाख रुपए या उससे अधिक की राशि प्राप्त करने वाले करीब 400 कर्जधारकों के अलावा नागपुर के करीब 60 हजार कर्जधारकों पर बैंक के विविध स्थानीय शाखाओं की ओर से विशेष ध्यान दिया जा रहा है।
बैंक प्रबंधन अब अधिक सजग
आगामी दिनों में कोई देन-दार अपने बैंक को ईएमआई देने में नाकाम न हो, इसके लिए खास तौर पर एहतियात बरता जा रहा है। कर्जधारकों का लोन, उनका अकाउंट नॉन-परफॉर्मिंग एसेट(एनपीए) में तब्दील न होने पाए, इसके लिए बैंक के आला अधिकारी अब अधिक सजगता से काम कर रहे हैं। ज्ञात हो कि तय नियमों के हिसाब से जब किसी लोन की ईएमआई, प्रिंसिपल या इंटरेस्ट ड्यू डेट के 90 दिन के भीतर नहीं आती है तो उसे एनपीए में डाल दिया जाता है। हालांकि सभी एनपीए आकउंट बैंकों के लिए नुकसानदेह नहीं होते। कर्जदारों के अनुरूप बाजार की स्थिति, उद्योगों की परेशानियां एवं समय-समय पर आने वाले संकट व बदलाव के कारण अनेक खाते एनपीए हो जाते हैं। समय के साथ इनमें से अधिकतर खाते सुचारू होने के बाद संबंधित बैंक को अपने कर्ज की वसूली सुलभता से हो जाती है, परंतु कुछ ऐसे भी खाते निकल आते हैं जो कर्ज वसूली में सक्षम साबित नहीं हो पाते। ऐसे खातों की संख्या अधिक बढ़ने न पाए, इसलिए अब बैंक प्रबंधन अब अधिक सजग नजर आ रहे हैं।
क्या कहती है बैंक
इस संदर्भ में बैंक आफ इंडिया नागपुर अंचल के उप आंचलिक प्रबंधन अनिल कुमार जमुआर का कहना है कि जिन कर्जधारकों का खाता व्यवस्थित नहीं रहता है या अन्य कोई भी दिक्कत नजर आती है अथवा किसी अकाउंट को लेकर सिग्नल मिलता है तो वैसे भी हम सभी जरूरी सावधानियां बरतते हैं। इसी तरह बैंक आफ महाराष्ट्र नागपुर विभाग के सहायक प्रबंधक विजय कुमार कांबले का कहना है कि कर्ज के खाते एनपीए होने के पूर्व ही उस पर ध्यान दिया जाता है। 90 दिनों तक एनपीए का इंतजार नहीं किया जाता। फिलहाल हमारे बैंकों में रेड जोन वाला खाता कोई नहीं है।
Created On :   1 March 2018 10:57 AM IST