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नागपुर में ही होगा विधानमंडल का मानसून सत्र, 4 जुलाई से हो सकता है शुरू

डिजिटल डेस्क,मुंबई। महाराष्ट्र विधानमंडल का मानसून सत्र 4 जुलाई से शुरू होगा। विधानभवन में राज्य मंत्रिमंडल की बैठक में मानसून सत्र नागपुर में कराए जाने को लेकर चर्चा हुई। नागपुर में मानसून सत्र के आयोजन पर फैसला लेने के लिए राज्य मंत्रिमंडल की उपसमिति गठित की गई है। उपसमिति में प्रदेश के वित्त मंत्री सुधीर मुनगंटीवार, संसदीय कार्य मंत्री गिरीश बापट और उद्योग मंत्री सुभाष देसाई को शामिल किया गया है। राज्य के संसदीय कार्य मंत्री बापट ने बताया कि इस मुद्दे पर दोनों सदनों के विपक्ष के नेताओं और सभी दलों के विधायक दल के नेताओं से चर्चा की जाएगी। बजट सत्र के समापन के दिन इस पर अंतिम फैसला ले लिया जाएगा।
शीतकालीन अधिवेशन में ही मिले थे संकेत
उल्लेखनीय है कि दिसंबर 2017 में नागपुर अधिवेशन में इसके संकेत दिए गए थे कि अगला मानसून सत्र नागपुर में हो सकता है। इसकी कई वजह भी बताई गई है। मानसून सत्र के दौरान मुंबई में कई दिक्कतों का सामना करना पड़ता था। थोड़ी बारिश में मुंबई लबालब हो जाती है। इससे विधानमंडल का कामकाज भी प्रभावित होता है। मानसून में नागपुर को अधिक सुरक्षित बताया गया है। दूसरी बड़ी वजह, हर बार नागपुर अधिवेशन में सरकार को पूरक मांगें पेश करनी पड़ती है। इन्हें मंजूरी दिलाने और चर्चा करने में भी सरकार का वक्त बर्बाद होता है।
ये होंगे फायदे
मानसून सत्र के नागपुर में होने के कुछ फायदे बताए गए हैं। करार अनुसार, एक अधिवेशन नागपुर में लेना जरूरी है। इस अनुसार अब तक शीतसत्र नागपुर में लिया जाता था। विदर्भ की दृष्टि से यह महत्वपूर्ण अधिवेशन होता है। लेकिन विदर्भ की समस्याओं पर चर्चा की बजाय आधा पूरक मांगों पर चर्चा करने में ही गुजर जाता है। थोड़ा बहुत समय रहता है तो वह हंगामे की भेंट चढ़ जाता है। इस कारण विदर्भ, किसान सहित अन्य महत्वपूर्ण मुद्दों पर चर्चा का समय ही नहीं मिल पाता है। दूसरा यह कि नये साल की जश्न मनाने में मंत्री सहित विधायक भी जाने की जल्दबाजी में रहते हैं। ठंड भी परेशान करती है। अधिवेशन बड़ी मुश्किल से दो सप्ताह ही चल पाता है। विदर्भ को न्याय नहीं मिलता है।
यह परेशानी भी
मानसून सत्र नागपुर में होने से कुछ नुकसान भी गिनाए गए। बारिश की वजह से मोर्चे और प्रदर्शन नहीं हो पाएंगे। मानसून का समय होने से खेती के काम रहते हैं। ऐसे में किसान भी अपनी समस्याओं को लेकर नागपुर में मुश्किल से ही पहुंचेंगे। शीतसत्र की अपेक्षा मानसून सत्र में दोगुना खर्च होने की संभावना जताई गई है। शीतसत्र में तो सिर्फ रंग-रोगन, मरम्मत और अन्य काम होते थे, लेकिन मानसून सत्र होने पर बारिश से बचाव के इंतजाम भी करने होंगे। इससे खर्च दोगुना बढ़ सकता है।
नियोजन की दृष्टि से बेहतर
शीतसत्र की बजाय मानसून सत्र नागपुर में लिया जाता है तो यह नियोजन की दृष्टि से बेहतर हो सकता है। विदर्भ की समस्याओं सहित अन्य महत्वपूर्ण विषयों पर चर्चा को पर्याप्त समय मिलेगा। अधिवेशन भी ज्यादा देर तक चल पाएगा।
-सुधाकर कोहले, विधायक व शहर भाजपा अध्यक्ष
काम से बचने के बहाने
सरकार को काम नहीं करना है। काम से बचने के लिए मानसून सत्र का बहाना ढूंढा जा रहा है। बारिश का मौसम होने से लोग अधिवेशन में नहीं पहुंच पाएंगे। इससे सरकार को बचने का बहाना मिल जाएगा। यह पैसों की भी बर्बादी होगी।
-डॉ. नितीन राऊत, पूर्व मंत्री व कांग्रेस नेता
Created On :   23 March 2018 12:02 PM IST