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मानसून सत्र : इस बार नहीं होगी चाय पार्टी, 7 सितंबर से शुरुआत

डिजिटल डेस्क, नागपुर। कोरोना के प्रकोप के चलते इस बार विधानमंडल के अधिवेशन की पूर्व संध्या पर होनेवाली चाय पार्टी का कार्यक्रम रद्द कर दिया गया है। इसके चलते अधिवेशन से पहले चाय पार्टी के माध्यम से सत्ताधारी व विपक्ष के बीच होनेवाले संवाद की परंपरा खंडित हो गई हैं। हालांकि अक्सर विपक्ष सत्तापक्ष की चाय पार्टी का बहिष्कार करती रही है। आगामी 7 सितंबर सेविधानमंडल के मानसून सत्र की शुरुआत हो रही है। कोरोना का संकट गंभीर होने के चलते इस बार सत्र सिर्फ दो दिन चलेगा। इससे पहले कोरोना के संक्रमण के कारण दो बार अधिवेशन को टाला जा चुका है। इस बार अधिवेशन के दौरान प्रश्नोत्तर नहीं होगा और न ही ध्यानाकर्षण प्रस्ताव पेश होगा। सात सितंबर को अध्यादेश पटल पर रखे जाएंगे। सदन में साल 2020-21 की पूरक मांग व 11 शासकीय विधेयक पेश किए जाएंगे। इसके अलावा पूर्व राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी, पूर्व मुख्यमंत्री शिवाजी राव पाटिल निलंगेकर व पूर्व विधानसभा सदस्य अनिल राठोड़,सुधाकर परिचारक, हरि भाऊ जवलेसदाशिव राव ठाकरे, रामरतन राऊत व चंद्रकांता गोयल के निधन को लेकर शोक प्रस्ताव लाया जाएगा।
हाजिरी लगाने तक सीमित रहेगा मानसून अधिवेशन
इस अधिवेशन को लेकर विधायकों में अधिक रुचि नहीं दिख रही है। केवल दो दिन के लिए अधिवेशन होने से माना जा रहा है कि यह हाजिरी लगाने तक ही सीमित रहेगा। महाविकास आघाड़ी से जुड़े एक नेता ने तो यह तक कहा है कि 50 वर्ष से अधिक उम्र के विधायकों की औपचारिक उपस्थिति को लेकर सहमति बनाने का प्रयास चल रहा है। विधानमंडल के सभी गटनेताओं से इस संबंध में चर्चा की तैयारी चल रही है। स्थिति कुछ ऐसी है कि सदन में प्रश्नों के लिए विधायकों ने कोई तैयारी ही नहीं की है। उधर विधानसभा अध्यक्ष नाना पटोले के कोरोना पाजिटिव होने से नया प्रश्न सामने आया है। उनकी अनुपस्थिति में विधानसभा की कार्यवाही कौन चलाएगा, यह भी स्पष्ट नहीं है।
गौरतलब है कि मार्च में राज्य विधानमंडल का बजट अधिवेशन हुआ। कोरोना की स्थिति को देखते हुए बजट अधिवेशन को जल्द पूरा करना पड़ा था। नियम के अनुसार विधानमंडल के अधिवेशन में 6 माह से अधिक का अंतर नहीं होना चाहिए। राज्य सरकार की ओर से 3 से 4 बार मानसून अधिवेशन की तैयारी की गई। लेकिन कोरोना संकट को देखते हुए तारीख तय नहीं हो पायी थी। अब केवल दो दिन का अधिवेशन तय किया गया है। राज्य मंत्रिमंडल के 6 सदस्यों का कोरोना उपचार हुआ है।
30 विधायक कोराना पाजिटिव पाए गए हैं। इन स्थितियों को देखते हुए 50 वर्ष से अधिक उम्र के व किसी बीमारी से प्रभावित विधायक को सभागृह में उपस्थित रहने की सख्ती नहीं करने का प्रयास चल रहा है। ऐसे विधायकों को केवल मस्टर पर उपस्थिति दर्शाने को कहा जा सकता है। जानकारी के अनुसार विधानमंडल में 50 से 60 प्रतिशत विधायक 50 वर्ष से अधिक उम्र के हैं। विधायकों को सभागृह में आना अनिवार्य नहीं करने के संबंध में सरकार या विपक्ष निर्णय नहीं ले सकता है। विधानमंडल सचिवालय या संसदीय कामकाज सलाहकार समिति की कोई निर्णय ले सकता है।
पूर्व विदर्भ में नुकसान का मुद्दा प्रमुख
बारिश व बाढ़ के कारण पूर्व विदर्भ के 4 िजलों में नुकसान का मुद्दा प्रमुखता से विधानमंडल में होगा। हालांकि सरकार ने राहत के तौर पर कुछ निधि की घोषणा कर दी है। लेकिन विपक्ष इस निधि को बढ़ाने की मांग करेगा। अधिकारियों के तबादलों के अलावा अभिनेता सुशांत राजपूत मृत्यु मामले पर सरकार से जवाब मांगे जा सकते हैं।
Created On :   5 Sept 2020 7:13 PM IST