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अलग रेवाखंड राज्य से कम कुछ मंजूर नहीं, राजनीतिक दलों से लिया जाएगा हिसाब

डिजिटल डेस्क, जबलपुर। जय रेवाखंड के पृथक रेवाखंड राज्य महासमागम में 25 जिलों से 50,000 से भी अधिक प्रतिनिधियों ने भाग लिया, जिनमें हजारों महिला प्रतिनिधि भी सम्मिलित थीं। जबलपुर के जनक्रांति चौक दमोह नाका के पुराने बस स्टैंड के मैदान में लगभग 3 एकड़ भूमि में लगाए गए पंडाल में यह आयोजन संपन्न हुआ। विशाल प्रतिनिधि समूह को संबोधित करते हुए वरिष्ठ अधिवक्ता एवं जय रेवाखंड के संस्थापक आदर्श मुनि त्रिवेदी ने कहा कि प्राकृतिक संपदा की दृष्टि से विश्व के इस सबसे संपन्न भू-भाग के सपनों के विकास एवं संभावनाओं को 62 वर्ष में सरकारें चलाने वाले हर राजनीतिक दल ने बुरी तरह कुचला है, जिसका हम हिसाब-किताब लेंगे।
रेवाखंड की अकूत संपदा का दोहनकर मध्य भारत क्षेत्र मात्र का विकास करने और हमारा शोषण करने वालों को सबक सिखाने की ताकत जय रेवाखंड ने विगत साढ़े तीन वर्षों में गांव-गांव गली-गली खड़ी कर ली है, इसलिए रेवाखंड राज्य से कम अब हमें कुछ भी मंजूर नहीं है। जय रेवाखंड के प्रदेश अध्यक्ष आशीष त्रिवेदी ने अपने अध्यक्षीय उद्बोधन में कहा कि आज 24, 75,390 युवा व समर्पित प्राथमिक सदस्यों के साथ जय रेवा खंड इस अंचल की सबसे बड़ी ताकत है। अब एक भी क्षण कोई शोषण उपेक्षा बर्दाश्त नहीं की जावेगी।
हमें केंद्र से विशेष आर्थिक पैकेज चाहिए. रेवाखंड राज्य की महाकौशल, विंध्य व बुंदेलखंड की कम से कम 85 सीटों में कोई राजनीतिक दल जय रेवाखंड के बिना जीतने की कल्पना छोड़ दे। राज्य महा समागम को जय रेवाखंड के सह संयोजक द्वय पंडित आलोक मिश्रा व भास्कर रमण, प्रदेश संगठन महामंत्री असीम त्रिवेदी, प्रदेश महामंत्री बृजेश दुबे, अरिमर्दन सिंह, सत्येन्द्र ज्योतिषी, गुड्डू राइन, छात्र परिषद् अध्यक्ष अपूर्व त्रिवेदी, वरिष्ठ नेतागण के. के. पांडे के साथ विभिन्न जिलों के प्रतिनिधियों ने संबोधित किया।
आशीष त्रिवेदी पुन: अध्यक्ष
महा समागम में आशीष त्रिवेदी एडवोकेट को पुन: समस्त प्रतिनिधियों ने एकमतेन जय रेवाखंड का प्रदेश अध्यक्ष आगामी 2 वर्षों के लिए निर्वाचित किया। कार्यक्रम का संचालन प्रदेश महामंत्री बृजेश दुबे ने किया। महा समागम में रेवाखंड राज्य के लिए विशेष आर्थिक पैकेज, 5000/- प्रतिमाह बेरोजगारी भत्ता, विकास के नाम पर विस्थापन के विरुद्ध किसानों की पूर्ण ऋण माफी आदि अनेक प्रस्ताव एकमतेन पारित किए गए। मदन महल पहाड़ी से विस्थापित हो रहे 16, 000 परिवारों में से प्रत्येक को मुर्गी के दड़बों जैसे घरों के बजाय 1000 वर्ग फीट के प्लॉट दिए जाने का प्रस्ताव भी पारित किया गया।
Created On :   2 Oct 2018 2:24 PM IST