- लॉकडाउन से अनलॉक तक, लोगों के जीवन स्तर में आई गिरावट: सर्वे
- दिल्लीः प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने वीडियो कांफ्रेंसिंग के जरिए देशभर में कोविड-19 वैक्सीनेशन अभियान का शुभारंभ किया।
- मैं TMC के साथ हूं। यही समय है, जिनको TMC से प्यार है, वो TMC के साथ रहेंगे: TMC नेता शताब्दी रॉय
- भारत में पिछले 24 घंटे में #COVID19 के 15,158 नए मामले सामने आए। 175 नई मौतों के बाद कुल मौतों की संख्या 1,52,093 हो गई है।
- इंडोनेशिया में कम से कम 42 लोगों की मौत, भूकंप ने घरों और इमारतों को किया क्षतिग्रस्त
महाराष्ट्र में भी बर्ड फ्लू ने पसारे पैर,परभणी में 900 से अधिक मुर्गियों की हुई है मौत

डिजिटल डेस्क,मुंबई। राज्य की राजधानी मुंबई सहित परभणी, बीड़ और दापोली में पक्षियों की मौत की भोपाल की प्रयोगशाला में जांच के बाद पता चला है कि इनकी मौत एविएन इंफ्लूएंजा से हुई है। राज्य सरकार के एक वरिष्ठ अधिकारी ने यह जानकारी दी। हालांकि राज्य के पशुपालन विभाग के प्रधान सचिव अनूप कुमार ने बताया कि लेकिन अंडे या मुर्गे का मांस खाना ‘बिल्कुल सुरक्षित’ है क्योंकि यह वायरस इतने तापमान को नहीं झेल पाता। ऐसे में लोगों को चिंता करने की जरूरत नहीं है क्योंकि बर्ड फ्लू के कारण इंसान के संक्रमित होने की स्थिति ‘दुर्लभतम’ है।
श्री कुमार ने कहा कि विभाग पॉल्ट्री फार्मों पर जैव सुरक्षा उपाय बढ़ायेगा ताकि जंगली पक्षियों के साथ कोई संपर्क नहीं हो। परभणी के जिलाधिकारी दीपक मुगलीकर के अनुसार जिले के मुरुम्बा गांव के पॉल्ट्री फार्म में पिछले कुछ दिनों में करीब 900 मुर्गियों की मौत बर्ड फ्लू के कारण होने की पुष्टि हुई है तथा जिला प्रशासन ने गांव में करीब 8,000 पक्षियों को मारने का फैसला किया है। कुमार ने बताया कि पशुपालन विभाग ने अपनी कार्ययोजना लागू करना पहले ही शुरू कर दिया है और पक्षियों को मारने का काम मंगलवार को शुरू होगा। उन्होंने बताया कि परभणी के संक्रमित क्षेत्र के एक किलोमीटर के दायर में 8000-10000 पक्षियों को मारा जाएगा।
भोपाल के आईसीएआर नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ हाई सेक्युरिटी एनीमल डिजीज के अनुसार मुंबई में दो कौवे बर्ड फ्लू से मर गये। उसकी रिपोर्ट के अनुसार ठाणे के तीन बगुले और एक तोता एच5एन1 एवियन इंफ्लूएंजा से संक्रमित थे। भोपाल के इसी संस्थान के मुताबिक इसके अलावा, परभणी के एक मुर्गे और दो बगुले की तथा बीड़ एवं दापोली के कौवे एच5एन1 एंवियन इंफ्लुएंजा से संक्रमित थे। बर्ड फ्लू को लेकर मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे ने सोमवार की शाम अधिकारियों के साथ बैठक भी की। जालना में स्वास्थ्य मंत्री राजेश टोपे ने कहा कि राज्य में बर्ड फ्लू के मामले सामने आने के मद्देनजर उनका विभाग अलर्ट है लेकिन डरने की बात नहीं है, लोग बस सावधानी बरतें एवं सुरक्षित रहें।
कमेंट करें
ये भी पढ़े
Real Estate: खरीदना चाहते हैं अपने सपनों का घर तो रखे इन बातों का ध्यान, भास्कर प्रॉपर्टी करेगा मदद

डिजिटल डेस्क, जबलपुर। किसी के लिए भी प्रॉपर्टी खरीदना जीवन के महत्वपूर्ण कामों में से एक होता है। आप सारी जमा पूंजी और कर्ज लेकर अपने सपनों के घर को खरीदते हैं। इसलिए यह जरूरी है कि इसमें इतनी ही सावधानी बरती जाय जिससे कि आपकी मेहनत की कमाई को कोई चट ना कर सके। प्रॉपर्टी की कोई भी डील करने से पहले पूरा रिसर्च वर्क होना चाहिए। हर कागजात को सावधानी से चेक करने के बाद ही डील पर आगे बढ़ना चाहिए। हालांकि कई बार हमें मालूम नहीं होता कि सही और सटीक जानकारी कहा से मिलेगी। इसमें bhaskarproperty.com आपकी मदद कर सकता है।
जानिए भास्कर प्रॉपर्टी के बारे में:
भास्कर प्रॉपर्टी ऑनलाइन रियल एस्टेट स्पेस में तेजी से आगे बढ़ने वाली कंपनी हैं, जो आपके सपनों के घर की तलाश को आसान बनाती है। एक बेहतर अनुभव देने और आपको फर्जी लिस्टिंग और अंतहीन साइट विजिट से मुक्त कराने के मकसद से ही इस प्लेटफॉर्म को डेवलप किया गया है। हमारी बेहतरीन टीम की रिसर्च और मेहनत से हमने कई सारे प्रॉपर्टी से जुड़े रिकॉर्ड को इकट्ठा किया है। आपकी सुविधाओं को ध्यान में रखकर बनाए गए इस प्लेटफॉर्म से आपके समय की भी बचत होगी। यहां आपको सभी रेंज की प्रॉपर्टी लिस्टिंग मिलेगी, खास तौर पर जबलपुर की प्रॉपर्टीज से जुड़ी लिस्टिंग्स। ऐसे में अगर आप जबलपुर में प्रॉपर्टी खरीदने का प्लान बना रहे हैं और सही और सटीक जानकारी चाहते हैं तो भास्कर प्रॉपर्टी की वेबसाइट पर विजिट कर सकते हैं।
ध्यान रखें की प्रॉपर्टी RERA अप्रूव्ड हो
कोई भी प्रॉपर्टी खरीदने से पहले इस बात का ध्यान रखे कि वो भारतीय रियल एस्टेट इंडस्ट्री के रेगुलेटर RERA से अप्रूव्ड हो। रियल एस्टेट रेगुलेशन एंड डेवेलपमेंट एक्ट, 2016 (RERA) को भारतीय संसद ने पास किया था। RERA का मकसद प्रॉपर्टी खरीदारों के हितों की रक्षा करना और रियल एस्टेट सेक्टर में निवेश को बढ़ावा देना है। राज्य सभा ने RERA को 10 मार्च और लोकसभा ने 15 मार्च, 2016 को किया था। 1 मई, 2016 को यह लागू हो गया। 92 में से 59 सेक्शंस 1 मई, 2016 और बाकी 1 मई, 2017 को अस्तित्व में आए। 6 महीने के भीतर केंद्र व राज्य सरकारों को अपने नियमों को केंद्रीय कानून के तहत नोटिफाई करना था।