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सांसद सुप्रिया सुले ने कहा- शिक्षा क्षेत्र में राजनीति न करे सरकार

डिजिटल डेस्क, पुणे। राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी की सांसद सुप्रिया सुले ने कहा कि शिक्षा क्षेत्र में सरकार को राजनीति नहीं करनी चाहिए। उन्होंने कहा कि प्राध्यापक भर्ती पर लगाई पाबंदी हटाकर सही कदम उठाए जाने जरूरी हैैं। उच्च शिक्षा के निदेशक धनंजय माने के कार्यालय के सामने सोमवार से सेट, नेट और पीएचडी प्राध्यापकों ने अनिश्चितकालीन अनशन शुरू किया है। मंगलवार सुबह सुले ने प्राध्यापकों से मुलाकात कर उनकी समस्याएं जानी। साथ ही उनकी मांगों का समर्थन कर मसले में ध्यान देकर समस्याएं सुलझाने की कोशिश करने का आश्वासन दिया।
पत्रकारों से बातचीत करते हुए सुले ने कहा कि पिछले कुछ समय से शिक्षक और प्राध्यापक भर्ती के लिए पूरे राज्य में आंदोलन किए जा रहे हैं। लेकिन सरकार ने अभी तक इसकी ओर ध्यान नहीं दिया है। प्राध्यापक भर्ती पर लगाई गई पाबंदी हटाकर सही कदम उठाया जाना चाहए। गरीबों के लड़के, लड़कियों को रोजगार की जरूरत है। इसलिए सरकार को शिक्षा क्षेत्र में राजनीति नहींं करनी चाहए।
मांगे पूरी होने तकि जारी ही रहेगा आंदोलन
आंदोलनकारी प्रवीण शिंदे और डॉ. किशोर खिलारे ने बताया कि उन्होंने मांगों का ज्ञापन सरकार को सौंपा है। लेकिन इसका कोई फायदा नहीं हुआ। आंदोलन कर सरकार का ध्यान खींचने की कोशिश की थी। लेकिन यह कोशिश भी नाकामयाब रही। आखिरकार अनिश्चितकालीन अनशन का रास्ता अपनाना पड़ा। इसलिए मांगें पूरी होने तक किसी भी हालत में पीछे नहीं हटा जाएगा।
क्या है मौजूदा स्थिति?
राज्य में सेट और नेट परीक्षा उत्तीर्ण तथा कुछ पीएचडी प्राप्त दस हजार से अधिक प्राध्यापक पिछले चार सालों से नौकरी मिलने का इंतजार कर रहे हैं। ऐसे में प्राध्यापक भर्ती को सरकार ने वर्ष 2014 से पाबंदी लगाई। पिछले साल 25 मई 2017 को रोक लगाई गई थी। सरकार के अधिकृत आंकड़ों के अनुसार 9511 प्राध्यापक भर्ती का इंतजार कर रहे हैं। इसमें जारी साल के सेट, नेट परीक्षा उत्तीर्ण प्राध्यापकों को शामिल किया गया, तो आंकड़ां साढ़े ग्यारह हजार से आगे निकल जाएगा। गुणवत्ता और कुशलता होने के बावजूद भी बड़ी संख्या में प्राध्यपकों की भर्ती पर सरकार ने पाबंदी लगाने का फरमान जारी किया था। जिसे लेकर ताज्जुब जताया जा रहा है।
Created On :   5 Jun 2018 6:31 PM IST