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MPSC की खुली पोल ,पशुसंवर्धन विभाग की नियुक्तियों में घपला

डिजिटल डेस्क, नागपुर। सरकारी विभागों में किस तरह आरक्षित सीटों के साथ खिलवाड़ हो रहा है, इसका ज्वलंत उदाहरण सामने आया है। पशुसंवर्धन विभाग व महाराष्ट्र लोकसेवा आयोग (एमपीएससी) द्वारा 435 पशुधन विकास अधिकारी पद के लिए विज्ञापन जारी किया गया। 13% आरक्षण अनुसार 68 पद अनुसूचित जाति वर्ग के लिए आरक्षित होने चाहिए थे, लेकिन सिर्फ 23 पद रखे गए। इसे लेकर बवाल मचा तो आरटीआई में जानकारी मांगी गई। खुलासा हुआ कि खुले वर्ग में जो उम्मीदवार चयनित हुए, उन्हें भी आरक्षित वर्ग में दिखाया गया, जिससे आरक्षित वर्ग की सीटें कम हो गई। मामला कोर्ट में पहुंचा तो पशुसंवर्धन विभाग सहित एमपीएससी को बैकफुट पर आना पड़ा।
यह है पूरा मामला
कृषि, पशुसंवर्धन, दुग्ध व्यवसाय व मत्स्य व्यवसाय विभाग की ओर से पशुधन विकास अधिकारी पद के लिए महाराष्ट्र लोकसेवा आयोग ने 23 अगस्त 2019 को विज्ञापन जारी किया था। इसमें पशुधन विकास अधिकारी की 435 में से 23 जगह अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित थी। 13% आरक्षण होने के बावजूद अनुसूचित जाति की जगह की संख्या कम होने से संदेह हुआ तो आरटीआई में बिंदु नामावली की जानकारी मांगी गई। इसमें राज्य में 2,192 पद होने का खुलासा हुआ। 2192 पदों में से अनुसूचित जाति वर्ग के 13% आरक्षण अनुसार 285 पद होने चाहिए थे, लेकिन राज्य में इतने बड़े पैमाने पर अनुसूचित जाति वर्ग के उम्मीदवारों की भर्ती नहीं हुई। अध्ययन में पता चला कि 68 उम्मीदवारों की गुणवत्ता के आधार पर खुले प्रवर्ग से चयन हुआ है। इन उम्मीदवारों को आरक्षित वर्ग में दिखाकर बिंदु नामावली में इस वर्ग का अनुशेष पूर्ण बताया गया। इस कारण 24 अगस्त के विज्ञापन में अनुसूचित जाति की सिर्फ 13 जगह दिखाई गई।
विचाराधीन
फिलहाल मामला मैट (कोर्ट) में विचाराधीन है, लेकिन निर्णय आने के पहले ही पशुसंवर्धन विभाग और एमपीएससी ने अपनी गलती पर लीपापोती करनी शुरू कर दी है।
अब दूर तक आंच
आनन-फानन में एक शुद्धिपत्रक जारी कर विभाग ने अपनी गलती मानते हुए अनुसूचित जाति वर्ग के 23 के बजाए 34 जगह पर भर्ती करने का निर्णय लिया। एमपीएससी ने भले भूल सुधार की है, लेकिन अब राज्य के अन्य शासकीय विभागों में भी आरक्षित वर्ग की जगह पर अन्य वर्ग के उम्मीदवारों की भर्ती का आरोप लगाया जा रहा है।
Created On :   28 Dec 2020 10:13 AM IST