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म्यूकर माइकोसिस रोग का खतरा किसानों को सबसे अधिक

डिजिटल डेस्क, नागपुर। म्यूकर माइकोसिस (ब्लैक फंगस) संसर्गजन्य बीमारी नहीं है। इस बीमारी से घबराने की जरूरत नहीं है। यह रोग वातावरण से शरीर में आता है। शुगर प्रभावित या कोरोना उपचार के दौरान जिन्हें शुगर हुआ, ऐसे लोगों को म्यूकर माइकोसिस की परेशानी हो रही है। यह बात विदर्भ कान, नाक, गला संगठन के अध्यक्ष डॉ. प्रशांत निखाडे ने कही। जिला प्रशासन ने ब्लैक फंगस के संबंध में जनजागृति अभियान की शुरूआत की है। इस बीमारी के लक्षण व प्रतिबंधात्मक उपायांे के बारे में विशेषज्ञ डाक्टरों से सलाह व मार्गदर्शन लिया जा रहा है। स्वास्थ्य विभाग के अधिकारी और कर्मचारी मार्गदर्शन उपक्रम चला रहे हैं।
दांत, नाक, आंख में लक्षण
डॉ. निखाडे ने कहा कि शरीर में तीन जगह ब्लैक फंगस के लक्षण दिखाई देते हैं। दांत, नाक, आंख के बाद दिमाग (मस्तिष्क) में यह बीमारी आती है। बीमारी की शुरुआत दांत से होती है। दांत में काफी दर्द होता है। ब्लैक फंगस होने पर नाक बंद होता है। साइनस में ज्यादा फैलने पर आंख से कम दिखाई देता है। संक्रमण मस्तिष्क में पहुंचने पर झटके लगते हैं। अस्पताल से छुट्टी होने पर आहार संबंधी नियम का पालन करना जरूरी है।
किसानों को ज्यादा खतरा
मिट्टी मंे काम करने वाले किसानों को इससे ज्यादा खतरा है। बारिश में खेत में काम करते समय किसानों को मास्क, हैंड ग्लब्स पहनना जरूरी है। डा. निखाडे ने कहा कि ब्लैक फंगस बीमारी से आसानी से बचा जा सकता है। शुगर को संतुलन रखना जरूरी हैै। कोरोना से ठीक होने के बाद सतर्क रहना बेहद आवश्यक है। इस दौरान जिलाधिकारी रवींद्र ठाकरे, जिला परिषद के मुख्य कार्यकारी अधिकारी योगेश कुंभेजकर उपस्थित थे।
Created On :   22 May 2021 5:33 PM IST