गहन मानवीय बोध के कवि थे मुक्तिबोध : गुप्ता

Muktibodh was a poet of deep human understanding: Gupta
गहन मानवीय बोध के कवि थे मुक्तिबोध : गुप्ता
गहन मानवीय बोध के कवि थे मुक्तिबोध : गुप्ता

डिजिटल डेस्क, नागपुर। मुक्तिबोध गहन मानवीय बोध के कवि थे। उन्होंने अपने पूरे रचनात्मक जीवन में सामाजिक सरोकारों को सर्वोपरि रखा। वे किसी खास विचारधारा से ग्रस्त नहीं थे और न ही किसी विचारधारा के पैरोकार थे।  यह बात गुजरात केंद्रीय विश्वविद्यालय के पूर्व हिंदी विभागाध्यक्ष प्रो.आलोक गुप्ता ने राष्ट्रसंत तुकड़ोजी महाराज नागपुर विश्वविद्यालय के हिंदी विभाग की ओर से आयोजित विशिष्ट व्याख्यान में कही। व्याख्यान का विषय  "मुक्तिबोध : चिंतन और दृष्टि" था। अतिथि वक्ता के रूप में  उन्होंने कहा कि मुक्तिबोध वास्तव में चिंतक थे, समीक्षक नहीं।  

दूसरे अतिथि वक्ता बी.एन. मंडल विश्वविद्यालय बिहार के प्रोफेसर डॉ. सिद्धेश्वर कश्यप ने मुक्तिबोध की कहानियों की चर्चा करते हुए कहा कि वे समाज के उपेक्षित और वंचित वर्ग की आवाज को स्वर देते हैं। डॉ. कश्यप ने मुक्तिबोध को एक ऐसा चिंतक बताया जो समष्टि हित की सोच रखता है और समाज के समक्ष एक बौद्धिक चुनौती प्रस्तुत करता है।

साहित्य से सामाजिक बदलाव : पाण्डेय 
स्वागत उद्बोधन देते हुए हिंदी विभागाध्यक्ष डॉ. मनोज पाण्डेय ने कहा कि मुक्तिबोध एक ऐसे रचनाकार थे, जो बुद्धि और विवेक दोनों को समान महत्व देते थे। उनके लिए साहित्य एक माध्यम था सामाजिक बदलाव का। मनुष्य के कसकते हुए क्षणों की गहन अनुभूति उनमें थी। संचालन डॉ. सुमित सिंह ने किया। आभार डॉ. संतोष गिरहे ने माना।

 

 

Created On :   19 July 2021 4:30 PM IST

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