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शहतूत रेशम को मिली कृषि फसल की मान्यता
डिजिटल डेस्क, मुंबई। प्रदेश सरकार ने शहतूत रेशम फसल को कृषि फसल के रूप में मान्यता दी है। इससे सरकार की ओर से अन्य कृषि फसलों को दिया जाने वाला लाभ रेशम फसल के लिए भी लागू होगा। शहतूत रेशम के लिए कौन सी योजना लागू करनी है उनका नाम और उसे कितने प्रमाण में लागू करना आवश्यक है। इस संबंध में कृषि आयुक्त को स्वयं स्पष्ट अभिप्राय के साथ परिपूर्ण प्रस्ताव सरकार के सामने पेश करना होगा। इस प्रस्ताव को सरकार की ओर से मंजूरी मिलने के बाद शहतूत रेशम फसल को कृषि फसलों की तरह लाभ और सहूलियतों के के बारे में आदेश जारी किया जाएगा।
शासनादेश के मुताबिक राज्य में रेशम खेती पूरक उद्योग है। कम बारिश वाले इलाकों में भी रेशम का उत्पादन अच्छा होता है। किसानों की आय में वृद्धि के लिए रेशम उत्पादन अच्छा पर्याय साबित हो रहा है। इसलिए राज्य में लगातार रेशम के उत्पादन क्षेत्र में वृद्धि हो रही है। लेकिन शहतूत रेशम अन्य फसलों की तरह कृषि फसलों में शामिल नहीं था। इस कारण रेशम उत्पादक किसानों को दूसरे फसलों के किसानों के लिए लागू योजनाओं का लाभ नहीं मिल पा रहा था। परिमाण स्वरूप कृषि विभाग की कई योजनाओं के लाभ से रेशम उत्पादक किसानों को वंचित रहना पड़ रहा था। इसके मद्देनजर सरकार ने शहतूत रेशम फसल को कृषि फसल के रूप में मंजूरी दी है। राज्य में शहतूत और टसर (वन्य) दो प्रकार के रेशम का उत्पादन होता है। राज्य के 27 जिलों में शहतूत रेशम का उत्पादन किया जाता है। जबकि टसर रेशम का उत्पादन नागपुर विभाग के गडचिरोली, भंडारा, गोंदिया और चंद्रपुर में होता है।
Created On :   11 Jan 2021 12:50 PM GMT