मुंबई में 25 अगस्त 2003 को हुए बम कांड में अदालत ने मोहम्मद हनीफ निवासी मूली-7, सलीम चावल, चिमट पाड़ा, मरोल नाका, अंधेरी पूर्व, मुंबई को फांसी की सजा सुनाई थी। यह कैदी नागपुर की सेंट्रल जेल के फांसी यार्ड में बंद था। हाल ही में उसे जेल के सुरक्षा यार्ड में रखा गया था। रविवार को उसने सीने में दर्द होने की बात कही, तो उसे उसे पहले जेल के ही अस्पताल में ले जाया गया। यहां से उसे मेडिकल अस्पताल भेजा गया। वहां प्राथमिक जांच के दौरान डॉक्टरों ने उसे मृत घोषित कर दिया। सूत्रों के अनुसार उसकी मौत हो चुकी थी जब उसे मेडिकल अस्पताल पहुंचाया गया। डॉक्टरों ने उसे ब्रॉट डेड घोषित किया। यानी पहले ही मौत हो चुकी थी। मृतक हनीफ के परिजनों की उपस्थिति में मेडिकल अस्पताल में उसका पोस्टमार्टम किया गया
सीने में दर्द होने की बात कही
सेंट्रल जेल अधीक्षक रानी भोसले के मुताबिक मोहम्मद हनीफ को बॉम्बे हाईकोर्ट ने फांसी की सजा सुनाई थी। इस बमकांड में उसकी पत्नी जाहिदा सैयद (53) और अशरत शफीक अंसारी को भी फांसी की सजा सुनाई गई। मो. हनीफ सेंट्रल जेल में करीब 7 साल से बंद था। उसे जेल के अत्याधिक सुरक्षित यार्ड में रखा गया था। उसने शनिवार को शाम के समय सीने में दर्द होने की बात कही, तब उसे जेल के अस्पताल में भर्ती किया गया। जेल के डॉक्टरों ने उनकी जांच की और मेडिकल कॉलेज व अस्पताल (जीएमसीएच) में रेफर कर दिया। मेडिकल अस्पताल के डॉक्टरों द्वारा उसे अस्पताल में लाए जाने पर मृत घोषित कर दिया गया।धंतोली पुलिस ने फिलहाल आकस्मिक मौत का मामला दर्ज कर जांच शुरू कर दी थी।