लॉकडाउन में ध्वनि प्रदूषण से बची रही मुंबई, अब फिर शोरगुल

Mumbai saved from noise pollution in lockdown, now noisy
लॉकडाउन में ध्वनि प्रदूषण से बची रही मुंबई, अब फिर शोरगुल
लॉकडाउन में ध्वनि प्रदूषण से बची रही मुंबई, अब फिर शोरगुल

डिजिटल डेस्क , मुंबई । कोरोना संक्रमण फैलने से रोकने के लिए लगे लॉकडाउन के दौरान लोगों को भले ही काफी परेशानियां हुईं हों लेकिन इस दौरान प्रदूषण पर रोकथाम में काफी मदद मिली थी। आवाज फाउंडेशन की रिपोर्ट के मुताबिक मुंबई में मार्च, अप्रैल के महीने में ध्वनि प्रदूषण सबसे कम था। जबकि अनलॉक शुरू होने के बाद एक बार फिर शहर में शोरगुल लौटने लगा है। शोरगुल की सबसे अहम वजह सड़कों पर होने वाला ट्रैफिक है। 

 आवाज फाउंडेशन की संस्थापक सुमैरा अब्दुलअली ने बताया कि लॉकडाउन शुरू होने से पहले और उसके बाद हमने मुंबई के बांद्रा, दादर, एसवी रोड, मोहम्मद अली रोड जैसे इलाकों में ध्वनि प्रदूषण के स्तर की लगातार निगरानी की। इस दौरान लॉकडाउन से पहले ध्वनि प्रदूषण का स्तर 65 डेसिबल से 105 डेसिबल के बीच दर्ज किया जा रहा था। लेकिन मार्च के आखिर में महानगर में सख्त लॉकडाउन लगने के बाद ध्वनि प्रदूषण में काफी कमी दर्ज की गई। मार्च और अप्रैल महीने में महानगर के विभिन्न इलाकों में ध्वनि प्रदूषण का स्तर 41.7 डेसिबल से 66 डेसिबल के बीच दर्ज किया गया। इसके बाद जैसे-जैसे अनलॉक की प्रक्रिया शुरू हुई ध्वनि प्रदूषण का स्तर एक बाद फिर बढ़ने लगा।

 मई-जून में अनलॉक के पहले चरण में ध्वनि प्रदूषण का स्तर थोड़ा और बढ़ा और इस दौरान 52.9 डेसिबल से 89.8 डेसिबल तक ध्वनि प्रदूषण दर्ज किया गया। दिसंबर महीने में शुरू हुए अनलॉक के सातवें चरण तक महानगर में ध्वनि प्रदूषण का स्तर लॉकडाउन से पहले के स्तर के काफी करीब पहुंच गया है। दिसंबर महीने में ध्वनि प्रदूषण का स्तर 64.6 डेसिबल से 95.6 डेसिबल तक दर्ज किया गया। साल 2018 में आई नीरी की रिपोर्ट के मुताबिक मुंबई में ट्रैफिक के चलते ही सबसे ज्यादा शोर होता है। इसीलिए लॉकडाउन से जैसे-जैसे छूट मिलती जा रही है शोर बढ़ता जा रहा है।  

खतरनाक होता है ज्यादा शोर
विशेषज्ञों के मुताबिक 60 डेसिबल से अधिक तीव्रता में आठ से दस घंटे गुजारने वाले अनिद्रा, सिरदर्द, बिनावजह गुस्सा आने जैसी परेशानियों के शिकार हो सकते हैं। जबकि 90 डेसिबल से अधिक शोर कान के पर्दे को नुकसान पहुंचा सकता है। 110 डेसिबल से ज्यादा शोर कान के पर्दों के साथ नस को भी घातक रूप से नुकसान पहुंचा सकता है। 
 

Created On :   30 Dec 2020 7:25 PM IST

Tags

और पढ़ेंकम पढ़ें
Next Story