अ‌ावारा कुत्तों के हमले में जान गंवानेवाले बच्चे के पिता को मुआवजा दे मनपा - हाईकोर्ट

Municipal corporation to compensate on died by street dogs attack- HC
अ‌ावारा कुत्तों के हमले में जान गंवानेवाले बच्चे के पिता को मुआवजा दे मनपा - हाईकोर्ट
अ‌ावारा कुत्तों के हमले में जान गंवानेवाले बच्चे के पिता को मुआवजा दे मनपा - हाईकोर्ट

डिजिटल डेस्क, मुंबई। बांबे हाईकोर्ट ने सागली-मिरज महानगरपालिका को अ‌ावारा कुत्ते के हमले के चलते अपने पांच साल के बच्चे की जान गवाने वाले माता- पिता को मुआवजे के रुप में 50 हजार रुपए देने का निर्देश दिया है। अदालत ने कहा कि याचिकाकर्ता की 20 लाख रुपए के मुआवजे से जुड़ी मांग पर सरकार एक कमेटी तैयार कर विचार करे। न्यायमूर्ति अभय ओक व न्यायमूर्ति एसके शिंदे की खंडपीठ ने यह निर्देश सागली निवासी मारुती हले की ओर से दायर याचिका पर सुनवाई के दौरान दिया। 

सुरक्षा का अधिकार
खंडपीठ ने स्पष्ट किया कि जीवन के अधिकार में सुरक्षा का अधिकार भी समाहित है। इस अधिकार की रक्षा करना सरकार व स्थानीय निकाय की वैधानिक जिम्मेदारी है। हले के बेटे की 22 दिसंबर 2013 में आवारा कुत्ते के काटने के चलते मौत हो गई थी। याचिका के अनुसार हले अपने बेटे तेजस के साथ एक स्थानीय किक्रेट मैच देखकर घर आ रहे थे। रास्ते में वे एक जगह बेटे को इंतजार करने को कह पेशाब के लिए शौचालय चले गए। हले जब शौचालय से लौटे तो देखा पांच आवारा कुत्तों ने बच्चे पर हमला कर दिया है। 

वह अपने बेटे को लेकर तुरंत सागली महानगरपालिका अस्पताल गए। जहां डाक्टरों ने उसे मृत घोषित कर दिया। इस घटना के बाद हले दंपति ने अवारा कुत्तों को हटाने व उन्हें मुआवजा देने की मांग को लेकर हाईकोर्ट में याचिका दायर की थी। याचिका में दावा किया गया था कि स्थानीय निकाय व प्रशासन की लापरवाही के चलते उनके बच्चे की मौत हुई है। 

नागपुर में कब तक बनेगा बाल सुलभ न्यायालय: हाईकोर्ट
इसके अलावा बांबे हाईकोर्ट ने नागपुर में बाल सुलभ न्यायालय के निर्माण को लेकर राज्य सरकार से जानकारी मंगाई है। हाईकोर्ट ने राज्य के महाधिवक्ता आशुतोष कुंभकोणी को इस बारे में अगली सुनवाई के दौरान जानकारी देने को कहा है। मुख्य न्यायाधीश नरेश पाटील व न्यायमूर्ति एमएस कर्णिक की खंडपीठ के सामने बालसुलभ न्यायालय के निर्माण के मुद्दे को लेकर सुनवाई चल रही है। इस दौरान मुख्य न्यायाधीश ने कहा कि पिछले दिनों मैंने नागपुर की जिला न्यायालय में जाकर बालसुलभ कोर्ट के बारे में पूछा था, लेकिन वहां पर इस विषय पर अनभिज्ञता जाहिर की गई थी।

सरकार सकारात्मक
इस पर राज्य के महाधिवक्ता ने श्री कुंभकोणी ने कहा कि सरकार बाल सुभल न्यायालय के निर्माण को लेकर सकारात्मक है। इसके लिए सरकार ने 82 करोड़ रुपए जारी किए हैं। बुधवार को निर्माण कार्य शुरु करने के लिए प्रशासकीय आदेश जारी किया जाएगा। इस तरह के न्यायालय राज्य के 36 जिलों में बनाए जाएंगे। मुंबई में बालसुलभ न्यायालय के लिए मॉडल कोर्ट तैयार कर इस मॉडल को पूरे राज्य में लागू किया जाएगा। जहां तक बात नागपुर जिले में बालसुलभ न्यायालय की है तो इस बारे में वे नागपुर जिला कोर्ट के प्रधान न्यायाधीश से जरुरी जानकारी हासिल कर कोर्ट को जानकारी देंगे। 

बालसुलभ न्यायालय को स्पेशल वलनारेबल विटनेस कोर्ट रुम का नाम दिया जाएगा। ताकी किसी भी मामले के पीड़ित की गवाही यहां हो सके। बाल सुलभ न्यायालय में मूल रुप से पास्को कानून के तहत बच्चों के यौन उत्पीड़न से जुड़े मामलों की सुनवाई होगी। जहां बच्चे आरोपी को देखे बगैर निर्भीक माहौल में कोर्ट के सामने अपनी बात रख सकेंगे। बाल सुलभ न्यायालय के कमरों को यौन उत्पीड़न के मामले में पीड़ित महिला की गवाही के लिए भी इस्तेमाल किया जा सकेगा। गौरतलब है कि हाईकोर्ट ने बालसुलभ न्यायालय के निर्माण के मामले का स्वत: संज्ञान लिया है। 

Created On :   11 Dec 2018 3:04 PM GMT

और पढ़ेंकम पढ़ें
Next Story