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नागपुर : अपना क्षेत्र छोड़कर रहवासी सीमा में पहुंचे 28 बाघ

डिजिटल डेस्क, नागपुर। जंगल से सटे इलाकों में रहने वालों के लिए यह खबर सावधान करने वाली है। वन विभाग के सूत्रों की मानें तो अपना कोर एरिया छोड़कर 28 बाघ प्रादेशिक इलाकों में पहुंच गए हैं। हाल के दिनों में बाघों के देखे जाने की घटनाओं से इसकी पुष्टि भी होती है। दरअसल, वर्चस्व की लड़ाई को लेकर बाघ एक-दूसरे के ऊपर हमलावर होते रहते हैं। ऐसा नहीं है कि अचानक इतने बाघ कोर इलाका छोड़कर निकले हैं। पिछले साल मार्च-अप्रैल में भी प्रादेशिक इलाकों में 11 बाघ घुस आए थे। इस बार इनकी संख्या 28 तक बताई जा रही है और यह जंगली सीमा से सटे इलाकों में रहने वालों के लिए खतरे की घंटी है।
फिलहाल विभाग में बाघों की स्थिति
नागपुर सब डिवीजन के एसीएफ एस. काले के अनुसार
नागपुर सब डिवीजन हिंगना, खापा व सावनेर प्रादेशिक इलाका आता है। यहां फिलहाल 2 से ज्यादा बाघों की मौजूदगी बताई जा रही है। पेंच टाइगर रिजर्व से यहां बाघ घुसपैठ कर रहे हैं।
काटोल सब डिवीजन के एसीएफ प्राज्योत पालवे की मानें तो
काटोल सब डिवीजन में कलमेश्वर व कोंढाली 5 से ज्यादा बाघ मौजूद हैं, जो बोर टाइगर रिजर्व से आए हैं।
उमरेड सब डिवीजन के एसीएफ नरेंद्र चहांदेकर ने बताया
उमरेड सब डिवीजन में साउथ उमरेड, नॉर्थ उमरेड व बुटीबोरी का इलाका आता है। यहां 12 बाघ मौजूद हैं। सब पवनी व उमरेड करांडला से यहां पहुंचे हैं।
रामटेक सब डिवीजन के एसीएफ संदीप गिरि ने दी जानकारी
रामटेक सब डिवीजन में 9 बाघों की मौजूदगी है, जो चोरबाहुली, सिल्लारी व खुर्सापार इलाके से आए हैं।
क्षेत्र की तलाश में आते हैं बाघ
बाघों में क्षेत्र पाने के लिए लड़ाई होती रहती है। जीतने वाला बाघ उसी क्षेत्र में रह जाता है, जबकि उससे कमजोर पड़ा बाघ क्षेत्र की तलाश में बाहर निकल जाता है। प्रादेशिक इलाकों तक पहुंचते-पहुंचते इंसानों से इनका आमना-सामना होता है, जो मानव-वन्यजीव संघर्ष का कारण बनता है। -कुंदन हाथे, सदस्य, वन्यजीव सलाहकार मंडल (महाराष्ट्र)
Created On :   14 July 2021 11:47 AM IST