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इतना सब होने के बावजूद पर्यटन-मानचित्र पर खास मुकाम नहीं बना सका नागपुर

डिजिटल डेस्क,नागपुर। संतरों का शहर नागपुर, अंबाजारी झील की खूबसूरत लोकेशन, ब्रिटिश काल की ऐतिहासिक इमारते और नवेगांव बांध के वाचटॉवर से जंगल सफारी का नजारा, जो पर्यटकों को सहज ही अपनी ओर आकर्षित करते हैं। यहां बहने वाली नाग नदी से शहर का नाम नागपुर पड़ा, जो आगे जाकर वेनगंगा में मिल जाती है। इस महानगर की स्थापना देवगढ़ के गौंड राजा बख्त बुलंद शाह ने 1703 ईस्वी में की थी। हालांकि अपार संभावनाओं के बाद भी नागपुर पर्यटन-मानचित्र पर खास मुकाम नहीं बना पाया है।
कुछ खास पिकनिक स्पॉट
अंबाजारी झील- महानगर के पश्चिमी हिस्से में 15.4 वर्ग किलोमीटर के क्षेत्र में झील चारों तरफ से खूबसूरत बगीचों से घिरी है। यहां वोटिंग का लुत्फ उठाया जा सकता है।
दीक्षाभूमि- रामदास पेठ के पास इस स्थान पर 14 अक्टूबर 1956 को डॉ॰ भीमराव अम्बेडकर ने अपने अनुयायियों के साथ बौद्ध धर्म अपनाया था। तब से यह स्थान बौद्ध तीर्थस्थल के तौर पर जाना जाता है।
सेवाग्राम- साल 1933 को महात्मा गांधी ने यहां आश्रम बनाया था। साथ ही अपनी जिन्दगी के 15 साल यहीं बिताए थे,
बालाजी मंदिर-सेमीनरी हिल्स में भगवान वेंकटेश बालाजी का मंदिर है। जहां की अद्भुत वास्तुकारी देखते ही बनती है।
पोद्दारेश्वर राम मंदिर- इसका निर्माण राजस्थान के पोद्दार परिवार ने 1923 ईसवी में करवाया था। यहां भगवान राम और शिव की प्रतिमाएं हैं। संगमरमर और लाल बलुआ पत्थर से खूबसूरत नक्काशी की गई है।
अदासा- ये गांव प्राचीन मंदिरों के लिए जाना जाता है। यहां गणपति मंदिर में भगवान गणेश की एकल शिलाखंड से बनी प्रतिमा स्थापित है।
रामटेक- यहां भगवान राम और सीता के पवित्र चरणों का स्पर्श हुआ था। पहाड़ी पर राम मंदिर बना है, जो लगभग 600 साल पुराना है।
खेकरानाला- यहां खूबसूरत बांध मौजूद है। जहां का मनोरम नजारा सुकून भर देता है। हरियाली से सराबोर ये पिकनिक का खास स्पॉट है।
वेनगंगा नदी- नदी के बांए तट पर मरकड धार्मिक स्थल है। संत मार्कडेंय के नाम पर इस स्थान का नाम रखा गया। जहां 24 मंदिर बने हैं।
नागरधन- शैल साम्राज्य के राजा नंदवर्धन ने इस नगर की संस्थापना की थी। जहां एक किला है, जंगली जानवरों को वहां घूमते देखा सकता है।
नवेगांव बांध- ये विदर्भ का फॉरेस्ट रिजॉर्ट है। जो साहसिक खेलों के लिए भी जाना जाता है। यहां डीयर पार्क आकर्षण का खास केंद्र है
सीताबल्डी किला- 1857 में ब्रिटिश अफसर ने इसे बनवाया था। ये दो पहाड़ियों पर बना है। जो पर्यटन का केंद्र है।
वन पर्यटन और कोयला खदान पर्यटन की शुरुआत
इन पिकनिक स्पॉट के अलावा सरकार ने वन पर्यटन और कोयला खदान पर्यटन को शुरू करने का प्रयास किया था, लेकिन पर्यटकों को आकर्षित करने में सफलता नहीं मिली। प्रचार-प्रसार के प्रति लापरवाही उदासीनता दिखी। विश्व पर्यटन दिवस पर उन पर्यटन योजनाओं का उल्लेख करना लाजमी है, जिसे पूरे उत्साह के साथ शुरू किया गया था।
कैसे मिलेगा पर्यटन को बढ़ावा ?
प्रमुख ऐतिहासिक और दर्शनीय स्थलों के पर्यटन के लिए दिसंबर 2016 में योजना शुरू हुई थी। इसका उद्घाटन पर्यटन मंत्री जयकुमार रावल ने किया था। लेकिन 9 महिने में एमटीडीसी केवल एक टूर के तहत सात पर्यटकों को ही जुटा पाई। इसके लिए प्रति व्यक्ति 550 रुपए फीस वसूली जाती है। वीकेंड्स यानी शनिवार और रविवार को टूर रखा जाता है। इसमें न्यूनतम दस पर्यटकों का एक टूर ऑर्गनाइज होता है।
ये रही कमी
एक तरफ नागपुर मेडिकल का बड़ा हब बनता दिख रहा है। दूसरी तरफ पर्यटन विकास की चाल धीमीं है। राज्य सरकार के सत्ता में आते ही भाजपा ने शहर विकास के लिए कई वादे किए। इसमें दो साल पहले पालकमंत्री चंद्रशेखर बावनकुले ने सेमिनरी हिल्स क्षेत्र के पर्यटन विकास के लिए उपाय योजना करने के निर्देश वन विभाग को दिए थे। दो साल बीतने पर भी वन विभाग की ओर से कोई प्रयास नजर नहीं आ रहा।
अब ऐसे करेंगे पर्यटकों को आकर्षित
एमटीडीसी के वरिष्ठ क्षेत्रीय प्रबंधक हनुमंत हेडे का कहना है कि विशेष तौर से कोयला पर्यटन और नागपुर दर्शन की ओर पर्यटकों को आकर्षित करने के लिए नए प्रयोग किए जाएंगे। विभिन्न वॉट्सएप ग्रुपों में इन पैकेजों की जानकारियां दी जाएंगी। साथ ही रेडियो जिंगल्स और अन्य प्रचार आदि के माध्यमों के जरिए भी इसका व्यापक प्रचार किया जाएगा, ताकि पर्यटकों को आकर्षित किया जा सके। हर रोज यहां 20 हजार से ऊपर यात्री आते हैं। लेकिन तमाम कोशिशों के बावजूद सरकार पर्यटकों को लुभाने में खास कामयाब नहीं हो सकी। हद तो यह है कि इन दोनों पर्यटन क्षेत्रों की व्यवस्थित बुकलेट तक प्रकाशित नहीं हो सकी।






Created On :   26 Sept 2017 9:48 PM IST