नागपुर ने कोरोनाकाल में हासिल की कई उपलब्धियां , जांच और उपचार हुआ आसान

Nagpur achieved many achievements during the corona period, investigation and treatment became easy
नागपुर ने कोरोनाकाल में हासिल की कई उपलब्धियां , जांच और उपचार हुआ आसान
नागपुर ने कोरोनाकाल में हासिल की कई उपलब्धियां , जांच और उपचार हुआ आसान

डिजिटल डेस्क, नागपुर।  कोरोनाकाल में कई तरह की उपलब्धियां नागपुर ने हासिल की हैं। इसमें कोरोना की शुरुआत में लैब स्थापित की गई। कोविड जांच के लिए उपकरण आए। जीनोम सिक्वेंसिंग शुरू हुई। सलाईन गार्गल से कोरोना जांच होने लगी। रेमडेसिविर और एंफोटेरिसिन जैसे इंजेक्शन का उत्पादन भी शुरू हुआ। 

रिपोर्ट आने में लगेगा कम समय
नागपुर में दूसरी लहर में बड़ी संख्या में मरीज मिले हैं। इसमें संक्रमण के अधिक बढ़ने का कारण डबल म्यूटेंट वायरस रहा है। इसके लिए सैंपल फरवरी में भेजे गए थे, जिसकी रिपोर्ट देरी से जुलाई में आई। तब तक संक्रमण बुरी तरह फैल चुका था। इसकी जांच में भी जीनोम सिक्वेंसिंग की गई थी। अब जीनोम सिक्वेंसिंग राष्ट्रीय पर्यावरण इंजीनियरिंग अनुसंधान संस्थान की मॉलिक्यूलर लैब में शुरू किया गया है। नए वैरिएंट की जांच के लिए दिल्ली आईसीएमआर, पुणे के नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ वायरोलॉजी या हैदराबाद में भेजा जाता है। वहां पर जीनोम सिक्वेंसिंग होती है। फिर जांच होती है। इसमें समय लगता है। जीनोम सिक्वेंसिंग नागपुर में होने से वायरल की जीनोम सिक्वेंसिंग यहीं पर कर भेज सकते हैं, जिससे आधी प्रक्रिया पूरी हो जाती है और रिपोर्ट आने में समय कम लगता है। 

कोविड काल के दौरान चिकित्सा क्षेत्र में उपलब्धियां
शहर में कोविड के दौरान कई उपलब्धियां मिली हैं। इसमें कोविड की शुरुआत के बाद शहर में कई स्थानों पर कोविड जांच के लिए लैब स्थापित हुए। कोविड वायरस जांच के लिए पीसीआर मशीन और कई तरह के नए उपकरण मिले हैं। नीरी और माफसू सहित 5 बड़े संस्थानों में यह लैब स्थापित की गई। इसके साथ ही नीरी लैब के प्रमुख डॉ. कृष्णा खैरनार ने सलाइन गार्गल से कोविड की जांच का तरीका निकाला। जिसे पूरे देश में सराहा गया।

मरीजों के लिए सुविधा
शासकीय चिकित्सा महाविद्यालय व अस्पताल में ऑक्सीजन प्लांट में 60 मीट्रिक टन की क्षमता को बढ़ाकर 90 मीट्रिक टन किया गया। कोविड के इलाज में उपयाेग किए जाने वाले रेमडेसिविर इंजेक्शन और दूसरी लहर के बाद आई म्यूकरमाइकोसिस बीमारी के इलाज में उपयोग होने वाले एंफोटेरिसिन बी. इंजेक्शन का भी उत्पादन नागपुर के पास वर्धा में शुरू किया गया। अस्पतालों में वेंटिलेटर की संख्या बढ़ाई गई। डोजी जैसे ऑटोमेटिक उपकरण लाए गए। 
 

Created On :   1 July 2021 1:10 PM IST

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