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नागपुर : 33 जजों की नियुक्ति के लिए 1300 उम्मीदवारों के आवेदन

डिजिटल डेस्क, नागपुर। प्रदेश और जिला उपभोक्ता फोरम पर बतौर सदस्य (जज) नियुक्ति के लिए जारी नए नियमों को चुनौती देती एड.महेंद्र लिमये की याचिका पर बॉम्बे हाईकोर्ट की नागपुर खंडपीठ में सुनवाई हुई। याचिकाकर्ता के वकील तुषार मंडलेकर ने सर्वोच्च न्यायालय के विविध आदेशों का हवाला देते हुए मौजूदा नियुक्ति प्रक्रिया को खारिज करने की मांग की। प्रदेश में 33 जजों की नियुक्ति के लिए करीब 1300 उम्मीदवारों के आवेदन मिले हैं। एड.मंडलेकर ने दलील दी कि इतनी बड़ी संख्या में आवेदन आने के बाद तो िनयुक्ति में लिखित परीक्षा होनी चाहिए, लेकिन इसकी जगह केवल एक समिति मौजूद है जो अपनी मनमर्जी से उम्मीदवारों की सिफारिश करेगी। यह नियुक्ति प्रक्रिया ही अवैध है। इस पर हाईकोर्ट ने केंद्र सरकार के अधिवक्ता उल्हास औरंगाबादकर को बुधवार को युक्तिवाद प्रस्तुत करने के आदेश दिए हैं।
यह है मामला
याचिका में केंद्र सरकार द्वारा कंज्यूमर प्रोटेक्शन एक्ट 2019 के तहत गठित नए नियमों को चुनौती दी गई है। याचिकाकर्ता के अनुसार, वर्ष 2014 में मद्रास बार एसोसिएशन विरुद्ध भारत सरकार में सर्वोच्च न्यायालय ने साफ कहा था कि केवल कानून की विधिवत जानकारी वाले उम्मीदवार ही ट्रिब्यूनल में बतौर सदस्य नियुक्ति के लिए पात्र हैं। साथ ही 10 वर्ष से अधिक अनुभव वाले वकीलों को सर्वोच्च न्यायालय ने पात्र बनाने के निर्देश दिए थे, लेकिन नए नियमों में ठीक उल्टा किया गया है। नियुक्ति के लिए उम्मीदवार के पास कॉमर्स, शिक्षा, इकोनॉमिक्स, बिजनेस, लॉ, एडमिनिस्ट्रेशन फील्ड में कम से कम 20 वर्ष के अनुभव की शर्त रखी गई है। कानून की डिग्री या अनुभव भी जरूरी नहीं किया गया है। इससे यह हो रहा है कि 20 वर्ष से कम अनुभव वाले वकील फोरम पर बतौर सदस्य नियुक्ति के लिए अपात्र हो गए हैं, जबकि यही वकील अदालत में जज बनने के पात्र हैं। दूसरा यह कि कोई भी सामान्य व्यक्ति बगैर लॉ डिग्री के फोरम का सदस्य, जो कि एक जज के समकक्ष है, बन सकता है।
Created On :   30 Jun 2021 9:58 AM IST