नागपुर: दुर्लभ वन्यजीवों का स्वच्छंद विचरण,  आसानी से हो रहा दीदार

Nagpur: Free divergence of rare wildlife, easily occurring
नागपुर: दुर्लभ वन्यजीवों का स्वच्छंद विचरण,  आसानी से हो रहा दीदार
नागपुर: दुर्लभ वन्यजीवों का स्वच्छंद विचरण,  आसानी से हो रहा दीदार

डिजिटल डेस्क, नागपुर।  जंगल सफारियों को बंद हुए अब तीन महीने का समय हो गया है। केवल वन विभाग के कर्मचारियों के अलावा किसी का हस्तक्षेप नहीं रहने से वन्यजीव कोर इलाकों से बाहर निकल रहे हैं। जिससे दुर्लभ दिखनेवाले वन्यजीवों का भी बड़ी आसानी से दीदार हो रहा है। उमरेड, पवनी, करांडला व बोर अभारण्य में इन दिनों उदबिलाव से लेकर सिल्वर भालू  को देखा गया है। यही नहीं वर्ष 2012 में आखिर बार दिखाई देनेवाला  ( इंडियन बायसन) को भी हाल ही में बोर अभयारण्य में वन कर्मचारियों ने देखा है। इसके अलावा पहले की तुलना बाघ, भालू, जंगली भैसा, चीतल, नीलगाय, मोर, लोमड़ी आदि वन्यजीवों को स्वच्छंद विचरण करते देखा जा रहा है।

विदर्भ में पेंच, ताडोबा, मेलघाट, सह्याद्री बोर, नवेगांव-नागझिरा वनपरिक्षेत्र आता है। जहां आम दिनों में प्रति दिन 100 से ज्यादा टूरिस्ट घूमने-फिरने आते हैं। जिप्सी के साथ घूमनेवाले इन पर्यटकों के कारण हर रोज जंगल में शोर होते रहता है, चहल-पहल होती रहती है। जिसके कारण वन्यजीव अपना दायरा बनाकर रहते हैं। लेकिन इन दिनों कोरोना के कारण 18 मार्च से ही सभी जंगल सफारियां बंद कर रखी गई है। जिससे जंगलों में इंसानों की घुसपैठ नहीं हो रही है। केवल वन विभाग के कर्मचारी ही गश्त लगाते हैं। लंबे समय से शोर या चहल-पहल नहीं रहने से अब वन्यजीव अपना दायरा छोड़ बाहर निकल रहे हैं। इसी कारण से लंबे समय से नहीं दिखने वाले व जो कभी-कभार देखे जाते थे, ऐसे वन्यजीव भी आसानी से देखने मिल रहे हैं। उदबिलाव, सिल्वर भालू और इंडियन बायसन आमतौर पर देखने नहीं मिलते हैं। गाइड व वनसंरक्षक की मानें तो महीनों-महीनों इन्हें देखा नहीं जाता है। बावजूद इसके इन दिनों जंगल के बाहर इलाकों में भी इन्हें आसानी से देखा जा रहा है।

सीधे दिवाली में शुरू हो सकेगी जंगल सफारियां  

आमतौर पर बारिश के कारण जंगल सफारियों को एक जुलाई से बंद कर अक्तूबर माह में खोला जाता है। क्योकि बारिश के कारण जंगलों के रास्ते खराब होने से सैलानियों के लिए यहां घूमना असुरक्षित रहता है। ऐसे में अब 3 महीने से बंद जंगल सफारी का मजा सीधे दिवाली में ही लेने के आसार दिख रहे हैं। क्योंकि विदर्भ में मौजूद जंगल सफारियों में जंगल के भीतर जानेवाली कच्ची सड़कें बारिश के बाद खराब हो जाती है। कोविड-19 के कारण पूरे ग्रीष्म में जंगल सफारी का मजा लेने से सैलानी महरूम रहे है। ऐसे में अभी तक राज्य सरकार के सफारियों के खोलने को लेकर कोई दिशा-निर्देश नहीं आने से व अभी से बारिश शुरू हो जाने से जंगल सफारी अब सीधे नवंबर में ही खुलने के आसार हैं।

तालाबंदी के बाद से जंगलों में इंसानों की घुसपैठ बहुत कम है। ऐसे में कोर इलाकों में रहनेवाले दुर्लभ वन्यजीव भी आसानी से बाहर निकल रहे हैं। जिसमें हाल ही में एक इंडियन बायसन को बोर रेंज में देखा गया। जिसे आखरी बार 2012 में देखा था। --राहुल गवई, डीएफओ ( वन्यजीव), उमरेड करांडला

Created On :   15 Jun 2020 10:32 AM GMT

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