अवनि को मारने के लिए खर्च किए 200 करोड़

nagpur in 200 crores spent to kill Avni
अवनि को मारने के लिए खर्च किए 200 करोड़
अवनि को मारने के लिए खर्च किए 200 करोड़

डिजिटल डेस्क, नागपुर। अवनि बाघिन शिकार मामले में वन्यप्रेमी संगीता डोगरा व अर्थ ब्रिगेड फाउंडेशन ने सर्वोच्च अदालत में महाराष्ट्र वन विभाग प्रधान सचिव विकास खड़के व आला अधिकारियों के खिलाफ अवमानना याचिका दायर की है। आरोप है कि अवनि बाघिन को मारने के पूरे ऑपरेशन में सर्वोच्च न्यायालय के आदेश का धज्जियां उड़ाई गई हैं। याचिकाकर्ता का दावा है कि इस पूरे ऑपरेशन में तत्कालीन महाराष्ट्र सरकार ने 200 करोड़ रुपए खर्च किए। 

सत्कार समारोह 
अवनि को गोली मारने के बाद शूटरों के लिए सत्कार समारोह आयोजित किया गया, जिसमें उन्हें 65 किलो की बाघिन की मूर्ति भेंट स्वरूप दी गई, जिसका मूल्य करीब 36 लाख रुपए था। 

कोर्ट का उल्लंघन
सर्वोच्च न्यायालय ने अपने 11 सितंबर 2018 के आदेश में साफ किया था कि इस ऑपरेशन के बाद किसी प्रकार का पुरस्कार घाेषित नहीं किया जाएगा।

आदमखोर है
वन विभाग ने पूर्व में सर्वोच्च न्यायालय में झूठा शपथ-पत्र दायर करके कोर्ट को गुमराह किया कि अवनि बाघिन आदमखोर बन चुकी है और उसे मारना जरूरी है।  

रिपोर्ट में खारिज
बाघिन की पोस्टमार्टम रिपोर्ट में यह साबित हुआ है कि वह आदमखोर नहीं थी। वह पिछले 7 दिनों से भूखी थी। 

शावक पर असर
कोर्ट को यह बताया गया था कि यदि बाघिन को नहीं मारा गया तो उसके शावक भी आदमखोर होंगे। 
हकीकत : अवनि द्वारा जन्म दी गई एक बाघिन मध्यप्रदेश के पेंच में है। वह आदमखोर नहीं है। 

शावक लापता
अवनि का एक नर शावक सी-2 दिसंबर 2019 से लापता है।
आदेश का उल्लंघन : सर्वोच्च न्यायालय ने अपने आदेश में बाघिन की समाप्ति के बाद उसके शावकों की देख-रेख की जिम्मेदारी वन विभाग को सौंपी थी। 

बेहोश करना था
याचिका में वन विभाग पर आरोप है कि सर्वोच्च न्यायालय ने पहले बाघिन को बेहोश करके पकड़ने के आदेश दिए थे, असफल होने पर ही बाघिन को गोली मारने को कहा गया था। 

आदेश की अनदेखी
वास्तविकता में अवनि बाघिन को पहले गोली मारी गई, बाद में उसे बेहोशी का डार्ट लगाया गया। 

 
 

 

Created On :   11 Feb 2021 5:06 AM GMT

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