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1551 किलोमीटर के रेगिस्तान को दौड़ते हुए किया पार

डिजिटल डेस्क, नागपुर। दुनिया में आज 10 में से 4 व्यक्ति डिप्रेशन में अपना जीवन गुजार रहे हैं। आत्महत्या करने वालों की भी संख्या दिनप्रति दिन बढ़ रही है। स्टॉप सुसाइट एवं दुनिया में जागरूकता लाने के उद्देश्य से शहर के इंटरनेशनल अल्ट्रा मैराथन रनर अतुल कुमार चौकसे ने 1551 किलोमीटर दौड़ते हुए रेगिस्तान को पार किया है। अब वे वर्ल्ड रिकॉर्ड बनाने की तैयारी कर रहे हैं। अतुल ने बताया कि 31 दिसंबर 2020 को उन्होंने अपनी यात्रा की शुरुआत इंडिया-पाकिस्तान बॉर्डर नादबेट, गुजरात, कच्छ के नमक के रेगिस्तान से शुरू की। इस यात्रा में उनके साथ कोई क्रू टीम नहीं थी। उन्होंने अपने साथ एक ट्रॉली रखी थी, जिसका लगेज के साथ वजन 160 किलोग्राम था। लगेज में पानी की कैन, सोलर पैनल, बैटरी, स्लीपिंग बैग, टेंट, खाने का सामान, मेडिकल और सर्वसाइवल, एंटीवेनम (सांप, बिच्छु का जहर निकलाने का उपकरण) आदि सामान थे। गावों के लगभग 10 हजार लोगों के बीच "एक पहल होश के लिए" अभियान चलाकर जागरूकता लाने का प्रयास किया।
बहुत ही एडवेंचर्स रही ट्रिप
अतुल ने बताया कि यह ट्रिप काफी एडवेंचर्स रही। जब भी कुछ अलग करते हैं, तो उस राह में कांटे आते हैं। यात्रा के दौरान पैरों में सैकड़ों जख्म भी हो गए थे। ट्रॉली के टायर भी फट गए थे। गुजरात का अखिरी गांव मिठाबी चरण था, उसको जैसे ही पार किया फिर राजस्थान की सीमा चालू हो गई। राजस्थान का पहला गांव भाटकी था। फिर ट्रॉली के टायर खरीदे। रेगिस्तान के उस हिस्से में पहुंचे, जहां उन्हें 1500 वर्ष पुराने मंदिर नजर आए। वहां डॉक्यूमेंट्री फिल्म बनाई। अपना मुकाम पाना था, इसलिए अपना जज्बा कायम रखा। जिस संदेश को लेकर निकला था, हजारों की संख्या में लोगों तक वो संदेश पहंुचाया। इस यात्रा में बहुत सारी ऐसी चीजें देखने को मिलीं, जिसकी कल्पना भी कभी नहीं की थी। राजस्थान का अाखिरी गांव संगरिया को पार करते हुए हरियाणा प्रवेश किया, उसके बाद डबवाली गांव को पार करते हुए पंजाब निकला। पंजाब के भटिंडा में 1551 किलोमीटर की दूरी पूरी करते हुए 21 फरवरी को यात्रा का समापन हुआ।
71 राष्ट्रीय 35 अंतरराष्ट्रीय पुरस्कार प्राप्त कर चुके हैं
अतुल पेशे से कम्प्यूटर शिक्षक हैं। समाज में व्याप्त कुरीतियों को रोकने के लिए अतुल ने थार के रेगिस्तान को पार किया। अतुल ने बताया कि यात्रा के दौरान युवाओं को सकारात्मक सोच रखने के लिए प्रेरित किया, साथ ही परिस्थितियों का सामना करने, तनावमुक्त जीवन जीने और नशा नहीं करने का भी संदेश दिया। वे अब 71 राष्ट्रीय और 35 अंतरराष्ट्रीय पुरस्कार प्राप्त कर चुके हैं। 31 दिसंबर को शुरू हुई दौड़ अभियान गुजरात, राजस्थान, हरियाणा हाेते हुए पंजाब के भटिंडा में जाकर खत्म हुई। थार रेगिस्तान दौड़ को विश्व रिकॉर्ड, एशिया बुक ऑफ रिकॉर्ड, इंडिया बुक ऑफ रिकॉर्ड, लिम्का बुक ऑफ रिकॉर्ड के लिए पंजीकृत किया है।
Created On :   26 Feb 2021 4:03 PM IST