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‘साहित्यकार कभी मरता नहीं, जीवित रहता शब्दों में
डिजिटल डेस्क, नागपुर। साहित्यकार कभी मरता नहीं, वह जीवित रहता अपने शब्दों से .....मजदूर मजबूर किसान परेशान कहने को, देश कृषि प्रधान। जैसी कविताओं के साथ अंतरराष्ट्रीय कवि कुटुंब में कवि अरशद अली रंधावा, सुनीता शर्मा, संदीप त्यागी, घनानंद पांडे, डॉक्टर कुमुद उपाध्याय, डॉक्टर परमजीत कौर, अविनाश बागड़े , रति चौबे व संस्था के अध्यक्ष तथा साहित्यकार गोपाल उपाध्याय के पुत्र हरीश उपाध्याय ने सामयिक वह सारगर्भित कविताओं का पाठ कर विश्व कवि सम्मेलन को सार्थक किया। साहित्यकार गोपाल उपाध्याय की पुण्यतिथि एवं क्रांतिकारी उपन्यासकार यशपाल जी की स्मृति में उत्कर्ष साहित्यिकी अंतर्गत
"अंतरराष्ट्रीय कवि कुटुंब’ का आयोजन गूगल मीट पर किया गया।
अखिल भारतीय उत्तराखंड युवा प्रतिनिधि मंच की ओर से आयोजित गूगल मीट की शुरुआत सरस्वती वंदना से की गई। कार्यक्रम का संचालन परमजीत कौर एवं आभार संस्था की उपाध्यक्षा तनु फुलवे ने किया। अंबिका शर्मा ने परिस्थितियों पर स्त्रियों की दशा को इंगित करते हुए कहा, इस उम्र में, मैं उड़ना सीख रही हूं, जिंदगी तेरे साथ जीना सीख रही हूं। कविता तुम क्या कहती हो, मेरे मन की ही बात जो मैं सहती हूं। कवि रंधावा ने वतन वापसी पर अपनी कविता सुनाई, ब भी तरसता हूं मुल्क जाने को... व दुनिया में अब बुराई का बोलबाला है।
नागपुर की रति चौबे ने कविता सुनाई
"साहित्यकार सदा ही जिंदा है ,साहित्यकार यूं मरते नहीं’
अपने अकेले हुए शब्दों से जिंदा रहता है साहित्यकार ही कविता है। साहित्यकार ही गजल है, साहित्य ही मुक्ता के साथ ही संग है। अविनाश बागड़े ने आत्मा और परमात्मा की देख कर रखते हुए रूसे तारतम्य कराया और कहा शुरू से बात करें तो बात रूहानी होती है, जिंदगी यूं ही चलती रहे सुहानी होती है। संस्था के अध्यक्ष व वरिष्ठ पत्रकार हरीश उपाध्याय ने जीवन को संदर्भित करते हुए अपनी कविता सुनाई। अंत में संस्था के उपाध्यक्ष तनु फुलवे ने विभिन्न देशों से आए हुए कवियों का आभार प्रकट किया। इस अवसर पर सतीश जोशी, चंद्रा जोशी, भगवती पंत, प्रेरणा पांडे,चम्पा पांडे, अनिता शाह, विद्या चौहान आदि ने अपनी उपस्थिति दर्ज कराई।
Created On :   16 Dec 2020 10:41 AM GMT