नागपुर के निवेशकों को फिर लगा चूना, 2 करोड़ 22 लाख रुपए का घोटाला उजागर

Nagpur investors lose money again, 2 crore 22 lakh rupees scam exposed
नागपुर के निवेशकों को फिर लगा चूना, 2 करोड़ 22 लाख रुपए का घोटाला उजागर
नागपुर के निवेशकों को फिर लगा चूना, 2 करोड़ 22 लाख रुपए का घोटाला उजागर

डिजिटल डेस्क, नागपुर ।  विश्वकर्मा ग्रामीण बिगर शेती सह.पतसंस्था में करोड़ों का घोटाला सामने आया है। अपराध शाखा के आर्थिक विभाग की तीन टीमों ने विविध स्थानों पर छापामार कार्रवाई कर संस्था अध्यक्ष समेत तीन पदाधिकारियों को गिरफ्तार किया। अवकाशकालीन अदालत में पेश कर उन्हें पीसीआर में लिया। 

रकम नहीं मिली, हंगामा : आरोपियों में अध्यक्ष पुरुषोत्तम बेले (49) सर्वश्री नगर, उपाध्यक्ष नरेश दांडेकर (47) अयोध्या नगर, प्रबंधक दिगांबर येवले, लेखापाल सुवर्णा प्रमोद कोकड़े आदि शामिल है। आरोपियों ने बरसों पहले विश्वकर्मा ग्रामीण बिगर शेती सह.पत संस्था मर्यादित, खरबी संचालित की। संस्था संचालकों के लुभावने झांसे में आकर बहुत ही कम समय में बड़ी संख्या में निवेशक संस्था से जुड़े। तय योजना के तहत निवेशकों को पहले संस्था का सदस्य बनाया गया। बाद में विविध योजनाओं के नाम से उनसे रुपए लिए गए, लेकिन अवधि पूरा होने पर भी जब निवेशकों को उनकी रकम वापस नहीं मिली, तो उन्होंने जमकर हंगामा किया। 

ऑडिट में खुली पोल
इस बीच संस्था का ऑडिट हुआ, जिसमें नियमों को ताक पर रखकर संस्था संचालक और पदाधिकारियों द्वारा 2 करोड़ 22 लाख रुपए का घोटाला करने की बात उजागर हुई। इसके बाद मामला थाने पहुंचा। 24 दिसंबर 2020 को वाठोड़ा थाने में संस्था संचालक मंडल और कुछ अधिकारियों के खिलाफ विविध धाराओं के तहत प्रकरण दर्ज किया गया। घोटाला करोड़ों रुपए से जुड़ा होने के कारण 15 जनवरी 2021 को इसकी जांच अपराध शाखा के आर्थिक विभाग को सौंपी गई। इसके लिए आर्थिक विभाग ने तीन टीमें तैयार कीं। संस्था के कुछ महत्वपूर्ण रिकार्ड जब्त किए गए।  

शिकंजा कसना शुरू
आरोपियों को गिरफ्तार करने विविध स्थानों पर छापामारी की गई, तो संस्था अध्यक्ष पुरुषोत्तम बेले, उपाध्यक्ष नरेश दांडेकर और वासुदेव हिरूड़कर पुलिस के हाथ लगे। शनिवार को अवकाशकालीन अदालत में पेश कर तीनों आरोपियों को 4 फरवरी तक पीसीआर में लिया गया है। अपर आयुक्त सुनील फुलारी, उपायुक्त विवेक मसाल के मार्गदर्शन में सहायक निरीक्षक शरयु देशमुख, पुनित कुलट, दीपक कुंभारे, गजानन माेरे, रमेश चिखले, नामदेव कटरे, सुरेश वानखेडे, विजय त्रिवेदी, सुनील मडावी, प्रशांत किंदर्ले, भारती माडे और सीमा सोनटक्के ने कार्रवाई की।  

करीबी लोगों को दिया कर्ज
 संस्था डूबने के पीछे संस्था के पदाधिकारी और अधिकारियों को जिम्मेदार माना जा रहा है। आरोप है कि संचालकों ने अपने पद का दुरुपयोग कर करीबी लोगों को कर्ज दिया है, लेकिन वसूली नहीं की। कुछ ने तो अपनी निजी संपत्ति बनाई। इस प्रकार धीरे-धीरे संस्था का दिवाला निकल गया। 
 

Created On :   1 Feb 2021 5:07 AM GMT

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