नागपुर : कोयले पर नए कर ने बढ़ाया सिरदर्द

Nagpur: New tax on coal increases headaches
नागपुर : कोयले पर नए कर ने बढ़ाया सिरदर्द
नागपुर : कोयले पर नए कर ने बढ़ाया सिरदर्द

डिजिटल डेस्क, नागपुर। केंद्र सरकार ने कोयले समेत अन्य खनिजों पर एक नया कर लागू किया गया है, लेकिन इसके अमल को लेकर जमीनी स्तर पर भारी संभ्रम देखने को मिल रहा है। दरअसल हुआ यूं कि केंद्र सरकार ने हाल ही में "द माइंस एंड मिनरल्स (डेवलपमेंट एंड रेगुलेशन) एक्ट" में संशोधन किया, जिसके तहत कोयले समेत अन्य खनिजों पर एक नया कर लागू किया।

केंद्रीय विधि और न्याय मंत्रालय ने 28 मार्च को राजपत्र के पांचवें और छठे भाग में नए कर की विस्तृत जानकारी दी है। इसके अनुसार कोयल, लिग्नाइट व समतुल्य खनिजों पर रॉयल्टी के बराबर कर देना होगा, लेकिन इस कर को अब तक लागू नहीं किया गया है। इसके कारण अब तक कोयला व्यापारियों से यह कर वसूला नहीं जा रहा है। व्यापारियों को डर है कि उन पर बैकडेटेड वसूली न निकले। यदि बैकडेट में वसूली हुई, तो व्यापारियों को प्रति टन 400-800 रुपए का नुकसान होगा, क्योंकि वे अपने ग्राहकों (इंडस्ट्री-ट्रेडर्स) को पूर्व निर्धारित दरों से कोयला बेच रहे हैं। यदि बैकडेट में वसूली निकलती भी है, तो व्यापारी अपने ग्राहकों से बैकडेट की रकम नहीं वसूल कर सकते। इसी मुद्दे पर सेंट्रल इंडिया कोल डीलर्स एसोसिएशन ने कोल इंडिया और डब्ल्यूसीएल से स्पष्टीकरण मांगा है। 

व्यापारी अभी कर भरने को तैयार : एसोसिएशन महासचिव राजेंद्र बंसल के अनुसार नए कर को लेकर प्रशासनिक स्तर पर कोई मार्गदर्शन नहीं मिल रहा है। कोयला व्यापारी तो अभी से कर भरने को तैयार है, ताकि वे अपने ग्राहकों से भी बढ़ी हुई दरों से कोयला दे सके, लेकिन यदि दो वर्ष बाद सरकार बैकडेट में जाकर कर वसूलने का फैसला लेगी, तो व्यापारियों को भारी आर्थिक नुकसान होगा। आकलन के अनुसार 400 से 800 रुपए प्रति टन का नुकसान संभावित है। गौरतलब है कि कोयला व्यापारियों की समस्या पर हमने डब्ल्यूसीएल के जनसंपर्क अधिकारी एसपी सिंह से फोन पर संपर्क किया। समाचार लिखे जाने तक उनकी प्रतिक्रिया नहीं आई।
 

Created On :   8 April 2021 10:27 AM GMT

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