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नागपुर: अंतिम वर्ष की परीक्षा रद्द कर एवरेज मार्क्स देने का विरोध

डिजिटल डेस्क, नागपुर। मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे द्वारा प्रदेश में अंतिम वर्ष की परीक्षा भी रद्द करके विद्यार्थियों को एवरेज अंक देने के फैसले का अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद की ओर से तीव्र विरोध देखने को मिल रहा है। अभाविप पदाधिकारियों ने न सिर्फ सरकार के इस फैसले को विद्यार्थियों के भविष्य से खिलवाड़ करार दिया है, बल्कि इसे महाराष्ट्र विश्वविद्यालय अधिनियम का उल्लंघन करने वाला बताया है। राष्ट्रसंत तुकड़ोजी महाराज नागपुर विश्वविद्यालय के मैनेजमेंट काउंसिल और अभाविप के सदस्य विष्णु चांगदे के अनुसार परीक्षा और उससे जुड़े फैसले करने का अधिकार कुलगुरु को होता है। इसके बावजूद उच्च शिक्षा मंत्री और मुख्यमंत्री ने परीक्षा नहीं लेने की घोषणा करके अधिनियम का उल्लंघन किया है। इस मामले में राज्यपाल को मध्यस्थता करके यूजीसी द्वारा सुझाए गए विकल्पों पर विचार करना चाहिए। अभाविप के संगठन मंत्री रवि दांडगे ने भी मांग उठाई है।
ऐसे बदलते रहे फैसले
8 मई को उच्च शिक्षा मंत्री उदय सामंत ने राज्य में केवल अंतिम वर्ष की परीक्षा लेकर शेष सभी सेमिस्टर के विद्यार्थियों को पास करने की घोषणा की। विश्वविद्यालयों को ऐसे निर्देश भी जारी किए गए।
19 मई को सामंत ने यूजीसी को पत्र लिखकर कोरोना संक्रमण का डर जताते हुए अंतिम वर्ष की परीक्षा लेने में असमर्थता दर्शाई।
30 मई को मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे ने प्रदेश के सभी गैर कृषि विश्वविद्यालयों के कुलगुरुओं के बीच हुई वीडियो कांफ्रेंसिंग में चिंता जाहिर की कि कोरोना संक्रमण के कारण जुलाई में प्रस्तावित परीक्षा लेना मुश्किल है। बताया कि सरकार परीक्षा के अलावा अन्य विकल्पों पर विचार कर रही है।
31 मई को मुख्यमंत्री ने घोषणा करके अंितम वर्ष की परीक्षा रद्द करने का फैसला सुना दिया। बताया कि पिछले सेमिस्टर में विद्यार्थियों को जितने अंक दिए गए, उसका एवरेज निकाल कर अंतिम सेमिस्टर का मूल्यांकन होगा। जो इस रिजल्ट से संतुष्ट नहीं होंगे, वे बाद में परीक्षा दे सकते हैं।
यह है नुकसान
नागपुर यूनिवर्सिटी के सीनेट सदस्य एड. मनमोहन बाजपेयी ने भी अंतिम वर्ष की परीक्षा रद्द करने के फैसले का विरोध किया है। राज्यपाल को पत्र लिख कर उन्होंने इसके नुकसान भी बताए हैं, जो इस प्रकार हैं-
यदि विद्यार्थियों को एवरेज अंक देकर डिग्रियां प्रदान की जाएंगी, तो इससे यूजीसी, एआईसीटीई और अन्य शैक्षणिक संस्थाओं के मापदंडों का उल्लंघन होगा।
देश के अन्य राज्यों के विश्वविद्यालयों में परीक्षा लेकर डिग्रियां दी जा रही हैं। ऐसे में महाराष्ट्र में बगैर परीक्षा लिए डिग्री दी गई, तो उनका महत्व कम हो जाएगा।
वर्ष 2020 में दी गई डिग्रियों की कानूनी वैधता पर सवाल खड़े हाे जांएगे, क्योंकि ये विवि अधिनियम के तहत नहीं दी जा रही हैं।
अंतिम वर्ष के जिन विद्यार्थियों को ‘बैक’ है, उनका एवरेज किस आधार पर निकाला जाएगा?
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ध्यान रखें की प्रॉपर्टी RERA अप्रूव्ड हो
कोई भी प्रॉपर्टी खरीदने से पहले इस बात का ध्यान रखे कि वो भारतीय रियल एस्टेट इंडस्ट्री के रेगुलेटर RERA से अप्रूव्ड हो। रियल एस्टेट रेगुलेशन एंड डेवेलपमेंट एक्ट, 2016 (RERA) को भारतीय संसद ने पास किया था। RERA का मकसद प्रॉपर्टी खरीदारों के हितों की रक्षा करना और रियल एस्टेट सेक्टर में निवेश को बढ़ावा देना है। राज्य सभा ने RERA को 10 मार्च और लोकसभा ने 15 मार्च, 2016 को किया था। 1 मई, 2016 को यह लागू हो गया। 92 में से 59 सेक्शंस 1 मई, 2016 और बाकी 1 मई, 2017 को अस्तित्व में आए। 6 महीने के भीतर केंद्र व राज्य सरकारों को अपने नियमों को केंद्रीय कानून के तहत नोटिफाई करना था।