- Home
- /
- बनाई लाजवाब पेंटिंग, 71 की उम्र में...
बनाई लाजवाब पेंटिंग, 71 की उम्र में उकेरा जीवन

डिजिटल डेस्क,नागपुर। उम्र की एक दहलीज़ पर जब हर कोई हार मान जाता है, ऐसे में कुछ लोग दुनिया को ये बताते हैं कि किसी भी काम को करने में उम्र कभी बाधा नहीं बनती। लोगों के लिए जहां ज़िंदगी खत्म होती है, वहां से कुछ लोग इसे खुल कर जीना शुरू करते हैं। ऐसा मानना है नागपुर की प्रभा भैय्या का, जिन्होंने 71 की उम्र में ब्रश से कमाल किया है। वे कहती हैं कि हर मनुष्य अपनी आंखों में सुंदर सपने सजाता है और उन्हें पूरा करने की भरपूर कोशिश करता है। जीवन में सफलता इन्हीं सपनों के आधार पर मिलती है। कभी-कभी 35-40 वर्ष की आयु बीतते ही लोग सपने देखने में विराम लगाने लग जाते हैं, वह सोचने लगते हैं जो बनना था बन गए।
मन में ठान लें तो कुछ भी मुश्किल नहीं
पेंटर प्रभा भैय्या ने कहा, यदि कोई अपने जीवन में कुछ करने की ठान ले तो उम्र उसके कार्य में बाधा नहीं बनती, शरीर की ऊर्जा उसके कार्य में कोई रुकावट नहीं डालती क्योंकि उसका निश्चय मन से होता है। अपने दृढ़ निश्चय से लंबी जिंदगी में अनेक ऐसे कार्य हैं जिनके लिए आयु कभी बाधा नहीं बनती। सपने देखने के लिए और उसमें सफलता हासिल करने के लिए उम्र का कोई बंधन नहीं होता, जरूरत होती है इच्छा शक्ति की। साउथ सेंट्रल जोन कल्चरल सेंटर नागपुर द्वारा प्रायोजित सृजन के अंतर्गत वानप्रस्थ: रंग प्रस्थ प्रभा भैय्या की चित्र प्रदर्शनी शुक्रवार से शुरू हुई है। ये प्रदर्शनी चार दिन जारी रहेगी।
100 पेंटिंग की पहली प्रदर्शनी राजा रवि वर्मा आर्ट गैलरी में शुरू
प्रभा ने बताया कि वे रिटायरमेंट नहीं चाहती थीं। उन्हें अपनी कला से इतना लगाव था कि उनकी कई पेंटिंग जीवन के अलग-अलग रंगों पर आधारित करीब 100 पेंटिंग की पहली प्रदर्शनी राजा रवि वर्मा आर्ट गैलरी में शुरू हुई। इस बारे में पेंटिंग कलाकार प्रभा भैया ने बताया कि उन्होंने जिंदगी के हर रंग को अपनी पेंटिंग के माध्यम से पेश किया और इसमें हर प्रकार के रंगों का इस्तेमाल किया है। पेंटिंग को तैयार किया गया, जिसे यहां आने वाले दर्शकों ने सराहा है। इसमें कई प्रकार की पेंटिंग है। उन्होंने बताया कि उनकी प्रदर्शनी राजा रवि को समर्पित है क्योंकि उन्हीं से प्रेरित होकर इस प्रदर्शनी में पेंटिंग को तैयार किया है। उनकी पेंटिंग में भगवान बुद्ध भी हैं तो कांगडा पेटिंग भी है। वहीं रंगों की बात करें तो उनके रंगों में एक्रेलिक भी है और आयल भी। वहीं वे प्रकृति को भी उकेरती हैं तो भगवान को भी।
नहीं ली कोई ट्रेनिंग
चित्रकारी की इस कला का जादू ऐसा है कि अंतर्रात्मा इसे कैनवास पर रंग दे देती है। पेंटिंग के माध्यम से समाज में बिखरी संस्कृति और संस्कार समझ लें तो एक नए समाज का निर्माण हो जाएगा। उन्हें पेंटिंग का शौक था, शाैक को उन्होंने ऐसे पूरा किया। वे वही चाहती थीं कि इस उम्र में वे घर में बैठें और पूजापाठ करें। प्रभा ने बताया कि उन्होंने कभी किसी भी तरह कोई प्रोफेशनल ट्रेनिंग नहीं ली है। बुद्धिमता, काबीलियत, कला और खुद को दूसरों से बेहतर साबित करने के लिए उम्र किसी भी प्रकार से मायने नहीं रखती है। उम्र कम हो और उपलब्धियों का ब्योरा अगर लंबा हो जाए, तब निश्चित तौर पर परिवार के लिए इससे बड़ी खुशी नहीं हो सकती। अपनी पेंटिंग कला की प्रतिभा के बूते इस बात को साबित करने में जुटी है। प्रभा को बचपन से ही पेंटिंग का शौक था, इसलिए उन्होंने कागज पर आकृति उकेरनी शुरू की।



Created On :   17 Feb 2018 4:42 PM IST