नागपुर यूनिवर्सिटी : सीनेट चुनाव से बाहर ही रहेंगे कांट्रैक्ट शिक्षक  

Nagpur University: Contract teachers will remain out of Senate elections
नागपुर यूनिवर्सिटी : सीनेट चुनाव से बाहर ही रहेंगे कांट्रैक्ट शिक्षक  
निराश हुए शिक्षक नागपुर यूनिवर्सिटी : सीनेट चुनाव से बाहर ही रहेंगे कांट्रैक्ट शिक्षक  

डिजिटल डेस्क, नागपुर। राष्ट्रसंत तुकड़ोजी महाराज नागपुर विश्वविद्यालय के आगामी सीनेट चुनावों को लेकर आए दिन त्रुटियां देखने को मिल रही हैं। लेकिन  नए महाराष्ट्र विश्वविद्यालय अधिनियम के प्रावधानों ने भी कुछ परेशानियां जरूर खड़ी की हैं। जानकारी के अनुसार, आगामी चुनाव में कॉलेजों या विश्वविद्यालय में कांट्रैक्ट तौर पर पढ़ाने वाले शिक्षकों को सीनेट की शिक्षक या स्नातक श्रेणी से उम्मीवारी नहीं दी जा सकेगी। नियमानुसार  सीनेट पर शिक्षक श्रेणी में िसर्फ नियमित प्राध्यापक ही नामांकन भर सकते हैं। लेकिन कांट्रैक्ट शिक्षकों की नियुक्ति ही 11 महीनों के लिए होती है। ऐसे में ये शिक्षक नामांकन नहीं भर सकते। वहीं सीनेट की 10 स्नातक सीटों के नामांकन के लिए भी नियम है कि इन सीटों से कांट्रैक्ट या सीएचबी शिक्षक नामांकन नहीं भर सकते।  पहले ही कार्यस्थल के माहौल और वेतन को लेकर परेशानियां झेल रहे इन शिक्षकों को सीनेट चुनाव में भी निराशा ही देखने को मिलेगी। गौरतलब है कि नागपुर और आसपास के जिलों में स्थित कॉलेजों में बड़ी संख्या में कांट्रैक्ट शिक्षक कार्यरत हैं। अनेक वर्षों से शिक्षक पदभर्ती न होने के कारण कॉलेजों में कांट्रैक्ट पर शिक्षक नियुक्त किए गए हैं, लेकिन नियमों की जटिलता के चलते अनेक इच्छुक शिक्षक चुनाव में हिस्सा लेने से वंचित रह जाएंगे। 

क्या कहता है नियम
महाराष्ट्र सार्वजनिक विश्वविद्यालय अधिनियम 2016 की धारा 28 (2)(न) के अनुसार नामांकन के दिन से करीब 5 वर्ष पूर्व डिग्री प्राप्त विद्यार्थी ही स्नातक सीट के लिए पर्चा भर सकता है, लेकिन जिन विद्यार्थियों को जरा भी अध्यापन का अनुभव है, वो उम्मीदवारी के लिए पात्र नहीं माने जाएंगे।  

चुनाव से दूर रखने का आरोप : पूर्व सीनेट सदस्य डॉ.केशव मेंढे ने शिकायत की है कि मतदाता सूची में उनका नाम 581 क्रमांक पर है। उन्हें गोंदिया जिले के देवरी में मतदान केंद्र दिया गया है, जबकि उन्होंने नागपुर से आवेदन भरा था। ऐसे में नागपुर निवासी डॉ. मेंढे गोंदिया में मतदान के लिए कैसे जाएंगे, यह सवाल खड़ा हो रहा है। डॉ.मेंढे का आरोप है कि विवि प्रशासन ने जान-बूझ कर विशिष्ट संगठन को लाभ पहुंचाने और कुछ लोगों को चुनाव से दूर रखने के लिए मतदाता सूची में हेर-फेर की है। 
 

Created On :   9 Nov 2022 10:30 AM GMT

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