2020 में गौरवपूर्ण शुरुआत रही नागपुर यूनिवर्सिटी की, पूरे साल एग्जाम का मुद्दा छाया रहा

Nagpur University had a proud start in 2020, the issue of exam was overshadowed throughout the year
2020 में गौरवपूर्ण शुरुआत रही नागपुर यूनिवर्सिटी की, पूरे साल एग्जाम का मुद्दा छाया रहा
2020 में गौरवपूर्ण शुरुआत रही नागपुर यूनिवर्सिटी की, पूरे साल एग्जाम का मुद्दा छाया रहा

डिजिटल डेस्क, नागपुर।  वर्ष 2020 की शुरुआत नागपुर विश्वविद्यालय के लिए गौरवपूर्ण रही। यूनिवर्सिटी के पूर्व छात्र और देश के मौजूदा मुख्य न्यायाधीश शरद बोबड़े जनवरी में संपन्न हुए दीक्षांत समारोह के मुख्य अतिथि बने। इसके बाद समय कुछ आगे बढ़ा ही था कि देश में कोरोना संक्रमण ने अपने पैर पसारे। इसके बाद का पूरा वर्ष शिक्षा क्षेत्र के लिए खासा चुनौतीपूर्ण रहा। अन्य सभी क्षेत्रों की ही तरह कोरोना महामारी और लॉकडाउन का शिक्षा क्षेत्र पर व्यापक असर पड़ा। लेकिन अंग्रेजी की एक प्रसिद्ध कहावत है "द शो मस्ट गो ऑन"। इसी तर्ज पर शिक्षा क्षेत्र का कामकाज जारी रहा। मार्च माह में नागपुर विश्वविद्यालय की सेमेस्टर परीक्षा शुरू हाे चुकी थी। 16 मार्च से लॉकडाउन लगा, इसके कारण सभी परीक्षा स्थगित कर दी गई। कुछ ही दिनों में प्रशासन ने शहर के सभी हॉस्टल खाली करवा लिए। मार्च के अंतिम कुछ दिन और अप्रैल के शुरुआती सप्ताह इसी उधेड़बुन में व्यतीत हो गया कि आखिर जमाबंदी के चलते परीक्षा पूरी कैसे कराई जाए। इस बीच शेष पाठ्यक्रम ऑनलाइन क्लास के जरिए पूरी कराई गई। 

सरकार और राज्यपाल रहे आमने-सामने
परीक्षा को लेकर राज्य सरकार का सीधा-सीधा मत था कि सभी विद्यार्थियों को प्रमोट किया जाए। लेकिन राज्यपाल और फिर सर्वोच्च न्यायालय के दखल के बाद अंतिम सेमेस्टर की परीक्षा कराने का आदेश जारी हुआ। शेष सेमेस्टर के विद्यार्थियों को प्रमोट कर दिया गया। राष्ट्रसंत तुकड़ोजी महाराज नागपुर विश्वविद्यालय ने इसमें ऑनलाइन परीक्षा लेने की तरकीब निकाली। आरटीएमएनयू परीक्षा एप पर विद्यार्थियों ने घर बैठे परीक्षा दी। इसमें चौंकाने वाले नतीजे देखने को मिले। विद्यार्थियों ने 100 में 100 अंक पा लिए। जो विद्यार्थी 10 वर्ष से परीक्षा पास नहीं कर पा रहे थे, वो तक इस बार पास हो गए। कुल मिला कर ऑनलाइन परीक्षा ने विद्यार्थियों के वारे न्यारे कर दिए। लेकिन विशेषज्ञों की राय रही कि इस प्रकार की परीक्षा के दूरगामी परिणाम होंगे। नौकरी और उच्च शिक्षा के क्षेत्र में बुरा असर होगा।  

संगठन विशेष के लोगों की नियुक्तियां 
7 अप्रैल को नागपुर विश्वविद्यालय के कुलगुरु डॉ. सिद्धार्थविनायक काणे सेवानिवृत्त हुए। इसके पहले से ही शिक्षा क्षेत्र के अनेक दिग्गज कुलगुरु की रेस में शामिल हो गए थे। कई नामी-गिरामी नाम चर्चा में रहे। लेकिन डॉ. सुभाष चौधरी की इस पद पर नियुक्ति ने सबको चौंकाया। आरएसएस प्रणित संगठन शिक्षण मंच से संबंध होने के कारण अनेक होनहार उम्मीदवारों को छोड़कर डॉ. चौधरी की नियुक्ति हुई है, ऐसे आरोप लगे। जिले के पालकमंत्री ने तो सरकार को पत्र लिखकर इस नियुक्ति पर आपत्ति तक जताई। लेकिन समय का पहिया आगे बढ़ा। डॉ. चौधरी के अाने के बाद शिक्षणमंच के अन्य सदस्यों की विवि प्र-कुलगुरु, अधिष्ठाता और अन्य अहम पदों पर नियुक्तियां की गईं।

Created On :   21 Dec 2020 8:05 AM GMT

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