नागपुर यूनिवर्सिटी ने खुद को चर्चासत्र से किया अलग, आयोजन का फैसला टला

Nagpur University separates itself from Churches, the decision to organize postponed
नागपुर यूनिवर्सिटी ने खुद को चर्चासत्र से किया अलग, आयोजन का फैसला टला
नागपुर यूनिवर्सिटी ने खुद को चर्चासत्र से किया अलग, आयोजन का फैसला टला

डिजिटल डेस्क, नागपुर।  नक्सलवाद के खिलाफ लड़ाई का दावा करने वाले भूमकाल संगठन द्वारा आगामी 25 जून से 10 जुलाई के बीच "भारत में समकालीन नक्सलवाद" विषय पर ऑनलाइन चर्चासत्र पर विवाद गर्माया है। अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद की आपत्ति के बाद नागपुर और अमरावती विश्वविद्यालय ने विवाद बढ़ता देख खुद को कार्यक्रम से अलग कर लिया है। दरअसल आयोजकों ने अपनी पत्रिका में आयोजकों में विविध कॉलेजों के साथ राष्ट्रसंत तुकड़ोजी महाराज नागपुर विश्वविद्यालय, संत गाड़गेबाबा विश्वविद्यालय अमरावती और गोंडवाना विश्वविद्यालय गड़चिरोली का नाम इस्तेमाल किया है। अभाविप ने नागपुर विश्वविद्यालय के इस कार्यक्रम से जुड़ने का विरोध किया है। अभाविप महानगर मंत्री अमित पटले ने नागपुर विवि प्रभारी कुलगुरु और अमरावती के नियमित कुलगुरु डॉ. मुरलीधर चांदेकर को पत्र लिख कर अपनी आपत्ति जताई है और कार्यक्रम से जुड़ने बाबत स्पष्टीकारण देने की मांग की। जिसके बाद डॉ. चांदेकर ने स्वयं को और विश्वविद्यालय को कार्यक्रम से अलग कर लिया। इसके बाद आयोजकों ने भी कार्यक्रम को होल्ड पर डाल दिया। 

ऐसी है कार्यक्रम की रूपरेखा
संगठन की ओर से जारी पत्रिका में कुलगुरु डॉ. चांदेकर और कई समाजसेवी, पत्रकार और नक्सल मामलों के जानकार बतौर वक्ता शामिल होने वाले हंै। इसमें शिक्षकों और विद्यार्थियों को बतौर श्रोता शामिल होने की छूट दी गई है। कार्यक्रम के आयोजक सचिव डॉ. श्रीकांत भोवटे ने भास्कर से बातचीत में आयोजन के पीछे का उद्देश्य बताया कि उनका संगठन बीते कई वर्षों से नक्सलवाद के खिलाफ लड़ाई लड़ रहा है। मौजूदा समय में शिक्षा संस्थानों में ऐसी स्थिति देखने को मिल रही है कि शहरी नक्सलवादियों के प्रभाव में आकर विद्यार्थी नक्सलवाद की राह चुन रहे हैं। उनके कई विद्यार्थियों को उन्होंने नक्सलवाद की ओर बढ़ते देखा है। इसे रोकने के लिए संगठन समय-समय पर इस प्रकार के आयोजन कर रहा है। लेकिन मामले में विवाद के बाद कार्यक्रम को होल्ड पर डाल कर अब पूरी आयोजन समिति मिल कर फैसला लेने वाली है। 

यूनिवर्सिटी का सहभाग नहीं
कार्यक्रम से विश्वविद्यालय का कोई संबंध नहीं है। मैंने बतौर अतिथि कार्यक्रम का न्योता कबूल किया था। लेकिन फिर कार्यक्रम पत्रिका में विश्वविद्यालय का नाम देखा। हमने ऐसी अनुमति नहीं दी थी। अनुमति की एक पूरी प्रक्रिया है। इसलिए हम स्वयं को कार्यक्रम से अलग कर रहे हैं। 
-डॉ. मुरलीधर चांदेकर, कुलगुरु नागपुर और अमरावती विश्वविद्यालय

Created On :   24 Jun 2020 10:45 AM GMT

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