देश के 14 बेस्ट टाइगर रिजर्व में नागपुर का पेंच शामिल

Nagpurs screw included in the countrys 14 best tiger reserves
देश के 14 बेस्ट टाइगर रिजर्व में नागपुर का पेंच शामिल
देश के 14 बेस्ट टाइगर रिजर्व में नागपुर का पेंच शामिल

डिजिटल डेस्क,नागपुर। बाघों के जतन व टाइगर रिजर्व के रख-रखाव को लेकर देश के बेस्ट 14 टाइगर रिजर्व चुने गए हैं। इसमें नागपुर का पेंच टाइगर रिजर्व भी शामिल है। सरकार व बाघों की सुरक्षा के लिए काम करनेवाली संस्था की साझेदारी से बनी संस्था कैट्स  (कंजर्वेशन एशॉर्ट टाइगर स्टैंडर्ड) ने इन टाइगर रिजर्व को टाइगर स्टैंर्ड्स एग्रीडेशन में खरा पाया है। इसमें महाराष्ट्र अंतर्गत नागपुर जिले के पेंच को भी प्रमाणपत्र दिया गया है। 

2013 में तैयार हुई थी गाइड लाइन : भारत में कुल 51 टाइगर रिजर्व हैं। इसमें मध्यप्रदेश, महाराष्ट्र, असम, तमिलनाडु, अरुणाचल प्रदेश, छत्तीसगढ़, राजस्थान आदि के टाइगर रिजर्व शामिल हैं। कई टाइगर रिजर्व में बाघों का सही तरीके से संरक्षण नहीं होने से कैट्स ने 2013 में बाघों के जतन के बारे में विश्लेषण करने के लिए 17 मापदंड की गाइड लाइन तैयार की थी। इसमें देश के टाइगर रिजर्व का अभ्यास किया जाता है। इसमें बाघों को किस तरह से रखा जाता है, जंगल सफारी कैसे होती है, वन विभाग का सामान्य लोगों के साथ व्यवहार, सरकार को इस क्षेत्र से मिलनेवाला राजस्व आदि 17 मापदंडों का विश्लेषण किया जाता है। इस बार देश के 14 टाइगर रिजर्व इन मापदंडों पर खरे उतरे हैं। इसमें महाराष्ट्र के नागपुर जिले का पेंच भी शामिल है। इसके साथ ही देश के अन्नामलाई, बंदीपोर, मानस, मुडुमलाई, सतपुड़ा, दुधवा, औरंग, सुंदरबन, कान्हा, परंबीकुलम, वालमिकी, काजीरंगा, पन्ना टाइगर रिजर्व मापदंडों पर खरा उतरे हैं। 

लगातार बढ़ रही बाघों की संख्या : 789 वर्ग किमी में फैले नागपुर जिले के पेंच में लगातार बाघों की संख्या बढ़ती जा रही है। वर्ष 2015-16 में यहां 9 नर व 22 मादा बाघ थे। वर्ष 2016 में 21 नर, 23 मादा, वर्ष 2017 में इनकी संख्या 16 नर व 22 मादा थी। वर्ष 2018-19 में 17 नर व 23 मादा थी। वर्ष 2019-20 में यह संख्या 16 नर व 23 मादा तक पहुंच गई। वर्ष 2020-21 में यहां कुल 50 के करीब बाघ-बाघिन शामिल हैं।

पेंच की बदलेगी पहचान बनेगा नया ‘लोगो’ : जनता से मांगी नई डिजाइन : निज संवाददाता, नागपुर. महाराष्ट्र के पेंच टाइगर रिजर्व की पहचान बदलने वाली है। प्रशासन ने इसका ‘लोगो’ बदलने की तैयारी की है। इसके लिए आम जनता से सुझाव और नई डिजाइन का ‘लोगो’ मांगा गया है। किसी भी नागरिक का सुझाव या ‘लोगो’ पसंद आने पर वन विभाग उसे नकद 11 हजार रुपए का पुरस्कार देगा। 

आकर्षण का केंद्र होगा : टाइगर सफारी के लिए पेंच मुख्य माना जाता है। यहां 50 से ज्यादा बाघों का निवास है। हरियाली से आच्छादित 789 वर्ग किमी में यह क्षेत्र फैला हुआ है। यहां प्रति दिन 100 से ज्यादा पर्यटन घूमने आते हैं। सूत्रों के अनुसार पेंच द्वारा अब तक इस्तेमाल किया जा रहा ‘लोगो’ आम जनता के बीच खास आकर्षण नहीं बना सका है। इसमें  केवल बाघ के पंजे का निशान बना हुआ है। ऐसे में वन विभाग इस ‘लोगो’ को बदलने का मन बना चुका है, ताकि पर्यटन की दृष्टि से पर्यटकों को इस ओर आकर्षित किया जा सके। वन विभाग की ओर से जानकार व विशेषज्ञ ‘नया लोगो’ बनाने में लगे हुए हैं, दूसरी ओर आम नागरिकों से भी ई-मेल के माध्यम में नया ‘लोगो’ 10 अगस्त तक मांगा गया है। 

पहचान होता है ‘लोगो’ : किसी भी क्षेत्र की मुख्य पहचान उसके ‘लोगो’ के माध्यम से होती है। इस ‘लोगो’ का इस्तेमाल उससे जुड़े हर कामकाज में किया जाता है। यह ‘लोगो’ भी लोगों को आकर्षित करने का काम करता है।

इस तरह भेज सकते हैं : नई डिजाइन का ‘लोगो’ कोई भी ‘लोगो फॉर पेंच एट दी रेट जी मेल डॉट कॉम’ पर भेज सकता है। डिजाइन 300 डीपीआई में जेपीजी या पीडीएफ फॉरमेट में भेजनी है।  कम से कम चार बाय चार का ‘लोगो’ होना जरूरी है। 
 

Created On :   31 July 2021 2:29 PM IST

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