संथारा के अठारहवें दिन नवीनभाई देसाई ने किया देहत्याग

Navinbhai Desai sacrificed his life on the eighteenth day of Santhara.
संथारा के अठारहवें दिन नवीनभाई देसाई ने किया देहत्याग
अंतिम विदाई देने उमड़ा सकल जैन समुदाय  संथारा के अठारहवें दिन नवीनभाई देसाई ने किया देहत्याग

डिजिटल डेस्क, अमरावती। जैन दर्शन जैसे जीवन जीने की कला के उत्सव को दर्शाता है वैसे ही मृत्यु को महोत्सव के रूप में स्वीकारने की कला भी दर्शाता है। जैन धर्मावलंबी प्रतिदिन तीन मनोरथ का संकल्प भाव रखने वाले होते हैं। प्रथम संकल्प में अल्प-अधिक परिग्रह त्याग की भावना रखते है। द्वितीय में संयम यानी की दीक्षा अंगीकार करने की भावना रखते है और तृतीय संकल्प में जीवन के अंतिम समय में संथारा पूर्वक समाधिमरण ग्रहण करने की भावना रखते है।

ऐसा ही संथारा परम पूज्य गुरुदेव श्री हीराचंद्रजी म.सा.की सुशिष्या पूज्य श्री चारित्रलताश्रीजी महासतीजी के श्रीमुख से अमरावती के गुजराती जैन समाज के 77 वर्षीय धर्मनिष्ठ सुश्रावक  नवीनभाई हरिलालभाई देसाई ने ग्रहण किया था। 29 नवंबर को आत्मजागृति पूर्वक तिविहार संथारा व्रत के पच्चक्खाण ग्रहण करने वाले संथारा साधक अनशन आराधक नवीन देसाई ने गुरुवार 16 दिसंबर को अठारहवें दिन विजय मुहूर्त में दोपहर में 12.15 बजे संथारा सिझा, परम समाधि को पाया।   

 

Created On :   18 Dec 2021 9:02 AM GMT

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