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'हिंदी फिल्म इंडस्ट्री का 'हिंदी' से कोई नाता नहीं है'

डिजिटल डेस्क, मुंबई। 'हिंदी फिल्म इंडस्ट्री का हिंदी से कोई नाता नहीं है। बॉलीवुड हिंदी से दूर हो चुका है। फिल्मों के स्क्रिप्ट-संवाद सभी रोमन (अंग्रेजी) में लिखे होते हैं। हमें भी रोमन में लिखे संवाद दिए जाते हैं, जिसे मैं अपनी सहूलियत के लिए हिंदी में करता हूं।' यह कहना है सुप्रसिद्ध अभिनेता पंकज त्रिपाठी का।
गैंग आफ वासेपुर, गंगाजल, आक्रोश, रन व अग्निपथ सहित दर्जनों फिल्मों में अपने अभिनय का लोहा मनवा चुके त्रिपाठी का यह दर्द साहित्यिक संस्था वाग्धारा के ‘नवरत्न सम्मान समारोह’ में छलका। उन्होंने कहा-रंगमंच ने ही मुझे आदमी बनाया है। मुझे यह देखकर खुशी हो रही है कि मुंबई महानगर में हिंदी साहित्यकारों की इतनी बड़ी संख्या है। इस दौरान महाराष्ट्र राज्य हिंदी साहित्य अकादमी के कार्यकारी अध्यक्ष नन्दलाल पाठक, कथाकार सूरज प्रकाश, गीतकार मदन पाल वरिष्ठ गीतकार अभिलाष, समालोचक डॉ. करुणाशंकर उपाध्याय, श्यामलता पंडित, कथाकार सीत मिश्रा अमर त्रिपाठी, कांग्रेस नेता शिवजी सिंह आदि मौजूद थे। समारोह का संचालन सुनीता त्रिपाठी व रवि यादव ने किया।
इनको मिला सम्मान
वाग्धारा के अध्यक्ष वागीश सारस्वत द्वारा सातांक्रुज के नज़मा हेपतुल्ला सभागार में आयोजित समारोह में वरिष्ठ रचनाकार और प्रकाशक रमन मिश्र , लेखक और शिक्षा सेवी फ़िरोज अशरफ, ग़ज़लकार हस्तीमल हस्ती, कत्थक नृत्यांगना बरखा पंडित, पत्रकार प्रीति सोमपुरा, व्यंग्यकार संजीव निगम, वरिष्ठ पत्रकार अमिताभ श्रीवास्तव, रंगकर्मी मंजुल भारद्वाज और कथाकार इतिश्री सिंह राठौर को वर्ष 2017 का नेशन टुडे " वाग्धारा नवरत्न सम्मान " प्रदान किया जाएगा।
Created On :   13 July 2017 4:56 PM IST