भ्रष्टाचार के आरोप के चलते पहले भी जा चुकी है नवाब की कुर्सी

Nawabs chair has already gone due to corruption allegations
भ्रष्टाचार के आरोप के चलते पहले भी जा चुकी है नवाब की कुर्सी
विपक्ष कर रहा मंत्री पद से हटाने की मांग  भ्रष्टाचार के आरोप के चलते पहले भी जा चुकी है नवाब की कुर्सी

डिजिटल डेस्क, मुंबई। राज्य के अल्पसंख्यक कल्याण मंत्री व राकांपा के राष्ट्रीय प्रवक्ता नवाब मलिक की गिरफ्तारी के बाद एक बार फिर उनकी कुर्सी खतरे में पड़ गई है। मलिक को इसके पहले भी भ्रष्टाचार के आरोपों के चलते मंत्री छोड़ना पड़ा था। मनी लांड्रिंग के मामले में प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) द्वारा गिरफ्तार किए जाने के बाद प्रदेश भाजपा अध्यक्ष चंद्रकांत पाटिल ने मलिक को मंत्री पद से हटाए जाने की मांग की है। मलिक की गिरफ्तारी के बाद उन्हें कभी भी मंत्री पद से इस्तीफा देना पड़ सकता है। मूलरूप से उत्तरप्रदेश के बलरामपुर जिले की उतरौला तहसील के इटईरामपुर धुसवा में जन्मे मलिक का परिवार सालों पहले रोजी रोटी की तलाश में यूपी से मुंबई के उपनगर कुर्ला आकर बस गया था। मलिक के पिता का स्क्रैप का कारोबार था। इसी इलाके से एक हिंदी समाचार पत्र निकालने वाले मलिक इसके पहले छात्र राजनीति में सक्रिय थे। 1993 कि दंगो के बाद बदली महाराष्ट्र की राजनीतिक परिस्थिति में मुंबई में समाजवादी पार्टी का प्रभाव बढ़ गया था।

मलिक सपा में शामिल हो गए और समाजवादी पार्टी के मुंबई अध्यक्ष अबू आसिम आजमी की मदद से 1996 में मुंबई की नेहरु नगर विधानसभा सीट से सपा के टिकट पर पहली बार विधानसभा पहुंचे। आजमी से अनबन के बाद वर्ष 2004 में सपा छोड़ कर राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी में शामिल हो गए। आजमी आज भी मलिक पर धोखा देने का आरोप लगाते हैं और उनके राजनीतिक कैरियर को सपा की देन बताते हैं। मलिक 2004 में इसी सीट से फिर विधायक बने। 2009 में नवाब मलिक अणुशक्ति नगर विधानसभा सीट से राकांपा के टिकट पर विधायक चुने गए। 2014 के विधानसभा चुनाव में मलिक अणुशक्ति नगर विधानसभा सीट से एक हजार वोट के मामूली अंतर से चुनाव हार गए थे लेकिन 2019 के विधानसभा चुनाव में मलिक ने इसी सीट से फिर जीत हासिल की। राकांपा अध्यक्ष शरद पवार के विश्वासपात्र लोगों में शामिल मलिक को पार्टी ने पहले प्रदेश और फिर राष्ट्रीय प्रवक्ता की जिम्मेदारी। 2019 के विधानसभा चुनाव के बाद शिवसेना के नेतृत्व में बनी तीन दलों की सरकार में मलिक को अल्पसंख्यक व कौशल्य विकास मंत्री बनाया। 

अन्ना हजारे के आरोप के बाद देना पड़ा था इस्तीफा 
वर्ष 2005-06 के दौरान मुख्यमंत्री विलासराव देशमुख की सरकार में मंत्री रहे नवाब मलिक को इस्तीफा देना पड़ा था। मलिक पर माहिम की जरीवाला चाल पुनर्विकास परियोजना में भ्रष्टाचार के कई आरोप लगे थे। सुप्रसिद्ध सामाजिक कार्यकर्ता अन्ना हजारे ने भी इस मामले को उठाया। फिर एक जांच शुरू की गई और नवाब मलिक को इस्तीफा देना पड़ा। 12 साल बाद सुप्रीम कोर्ट ने इसी मामले पर फैसला सुनाते हुए मलिक को इस मामले में बरी कर दिया था। तब से मलिक और हजारे के बीच छत्तीस का आकड़ा है। 2019 में मलिक ने हजारे पर पैसे लेकर अनशन खत्म करने का आरोप लगाया था। इसके बाद हजारे की तरफ से मलिक को मानहानि का नोटिस भेजा गया था। इसके बाद मलिक ने हजारे से माफी मांग ली थी।   
   
 
 

Created On :   23 Feb 2022 7:08 PM IST

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